अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीद आखिरकार अधूरी रह गई। ट्रंप का दावा था कि उन्होंने भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इजराइल, फिलिस्तीन, अफगानिस्तान, इरान और सीरिया, कुल आठ देशों के बीच संघर्ष और जंग रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इसलिए उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए था। लेकिन नोबेल समिति ने उनकी दलील को खारिज कर दिया और साल 2025 का शांति का नोबेल पुरस्कार वेनेजुएला की क्रांतिकारी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया। नोबेल पुरस्कार न मिलने के बाद ट्रंप ने कहा, मैंने दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। यह मेरा मानना है कि मैंने संघर्षरत देशों के बीच तनाव को कम करने में योगदान दिया है। हालांकि नोबेल समिति का फैसला अलग है, फिर भी मैं दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए काम करता रहूंगा। ट्रंप की इस हार ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मंच पर उन्हें बड़ा झटका दिया है और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। वहीं, मारिया कोरिना मचाडो की जीत ने उन्हें वैश्विक शांति और संघर्ष समाधान के क्षेत्र में नई पहचान दिलाई है, जबकि ट्रंप के समर्थक और कई देश उनके पक्ष में रहे, उनके लिए यह निर्णय निराशाजनक साबित हुआ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लंबे समय से चली आ रही उम्मीद कि उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार मिलेगा, इस बार भी अधूरी रह गई। ट्रंप ने बार-बार दावा किया था कि उन्होंने दुनिया के आठ देशों भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इजराइल, फिलिस्तीन, अफगानिस्तान, इरान और सीरिया के बीच तनाव और युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। उनका मानना था कि इस योगदान के लिए उन्हें साल 2025 का शांति नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए था। हालांकि, नोबेल समिति ने उनके दावों को खारिज करते हुए यह पुरस्कार वेनेजुएला की क्रांतिकारी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया। ट्रंप के इस झटके ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मंच पर उन्हें अप्रत्याशित रूप से कमजोर स्थिति में ला दिया है। ट्रंप ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मैंने विश्व में शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। मेरा मानना है कि मैंने संघर्षरत देशों के बीच तनाव कम करने में योगदान दिया है। नोबेल समिति का निर्णय अलग है, लेकिन मैं हमेशा शांति और स्थिरता के लिए काम करता रहूंगा। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि पुरस्कार न मिलने के बावजूद ट्रंप अपने कूटनीतिक प्रयासों को जारी रखने के इरादे में हैं।
ट्रंप की हार केवल व्यक्तिगत निराशा नहीं है, बल्कि अमेरिकी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक छवि के लिए भी एक बड़ा झटका है। ट्रंप के समर्थक और कई देशों ने उनके पक्ष में अभियान चलाया, यह कहते हुए कि वे शांति स्थापित करने के योग्य हैं, लेकिन नोबेल समिति ने अपने निर्णय में वैश्विक मान्यता प्राप्त ठोस योगदान और वास्तविक उपलब्धियों को महत्व दिया। वहीं, मारिया कोरिना मचाडो की जीत ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाई है। मचाडो ने वेनेजुएला में लोकतंत्र, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया है। नोबेल समिति ने उनके योगदान को स्थिर लोकतंत्र और शांति निर्माण के क्षेत्र में वास्तविक और ठोस प्रयासों के रूप में सराहा। उनके नेतृत्व और साहस ने वैश्विक स्तर पर सम्मान अर्जित किया और इस बार नोबेल समिति ने इसे पुरस्कार के रूप में मान्यता दी। ट्रंप की हार यह संकेत देती है कि नोबेल शांति पुरस्कार केवल कूटनीतिक हस्तक्षेप या राजनीतिक दावों के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक और टिकाऊ शांति निर्माण के प्रयासों के लिए प्रदान किया जाता है। ट्रंप के लिए यह निराशा भरी खबर है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनके योगदान और प्रयासों पर बहस जारी रहेगी। ट्रंप समर्थक देशों और कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि ट्रंप के मध्यस्थता प्रयासों ने कई देशों में तनाव को कम करने में मदद की है और उन्हें शांति पुरस्कार का पात्र होना चाहिए था। लेकिन नोबेल समिति ने स्पष्ट कर दिया कि पुरस्कार का उद्देश्य सिर्फ कूटनीतिक दावे नहीं, बल्कि वास्तविक प्रभाव और स्थायी योगदान है।इसके साथ ही यह भी देखा गया कि ट्रंप की हार ने अमेरिकी राजनीतिक छवि को चुनौती दी है। दूसरी ओर, मारिया कोरिना मचाडो की जीत ने दिखाया कि सच्चे नेतृत्व और साहसिक प्रयासों की दुनिया में हमेशा सराहना होती है। मचाडो ने अपने बयान में ट्रंप का धन्यवाद करते हुए कहा, मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दिल से धन्यवाद करती हूँ जिन्होंने विश्व में शांति और संघर्ष समाधान के प्रयासों को महत्व दिया। उनके प्रयासों ने दुनिया भर में शांति और संवाद को बढ़ावा दिया है। यह पुरस्कार केवल मेरा नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है जिन्होंने संघर्ष और हिंसा को रोकने के लिए काम किया। इस फैसले ने यह भी स्पष्ट किया कि नोबेल शांति पुरस्कार में पात्रता केवल हस्तक्षेप या दावों के आधार पर नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर प्रभावशाली और स्थायी योगदान के आधार पर तय की जाती है। ट्रंप के समर्थक और आलोचक दोनों इस निर्णय के प्रभावों पर चर्चा कर रहे हैं और यह बहस अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अगले चरण में जारी रहने की संभावना है।
ट्रंप ने 2025 में गाजा संघर्ष और यूक्रेन युद्ध में संघर्ष विराम समझौतों के माध्यम से शांति प्रयासों का दावा किया। उन्होंने इन प्रयासों को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों के रूप में प्रस्तुत किया और कई बार सार्वजनिक रूप से नोबेल पुरस्कार की उम्मीद जताई। उनके समर्थकों का मानना था कि उन्होंने वैश्विक शांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे पहले, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित कई नेताओं ने उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया था। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप के शांति प्रयासों की सराहना की, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन संघर्षों में। उन्होंने नोबेल समिति की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया, यह कहते हुए कि कभी-कभी पुरस्कार ऐसे व्यक्तियों को दिए जाते हैं जिनका शांति में योगदान सीमित होता है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीवन चियांग ने नोबेल समिति के निर्णय की आलोचना की, इसे राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि समिति ने शांति की बजाय राजनीति को प्राथमिकता दी।
मारिया कोरिना मचाडो को वेनेजुएला की क्रांतिकारी नेता कहा जाता है
मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और लोकतंत्र की पैरोकार हैं, जिन्हें 2025 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मारिया को वेनेजुएला की आयरन लेडी और क्रांतिकारी नेता कहा जाता है। उन्हें यह पुरस्कार वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण संक्रमण के लिए उनके अथक संघर्ष के कारण मिला। उनका जन्म 7 अक्टूबर 1967 को काराकस वेनेजुएला में हुआ था। मारिया कोरिना मचाडो ने औद्योगिक अभियांत्रिकी में स्नातक, वित्त में स्नातकोत्तर किया है । मारिया मचाडो ने 2001 में नागरिक संगठन सुमाते की सह-स्थापना की, जो चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए काम करता है। 2011 से 2014 तक वे वेनेजुएला की राष्ट्रीय सभा की सदस्य रहीं। 2014 में उन्होंने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें सार्वजनिक जीवन से बाहर कर दिया गया। 2023 में मचाडो ने विपक्षी प्राथमिक चुनाव में जीत हासिल की, लेकिन 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनने से रोक दिया गया। इसके बावजूद, उन्होंने एडमंडो गोंजालेज उरुतिया को समर्थन दिया, जिन्होंने चुनाव में व्यापक जीत हासिल की। 2025 में मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समिति ने उन्हें वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण संक्रमण के लिए उनके संघर्ष के लिए यह पुरस्कार दिया। समिति ने उन्हें दक्षिण अमेरिका में हाल के समय में नागरिक साहस के सबसे असाधारण उदाहरणों में से एक के रूप में सराहा। वर्तमान में मचाडो वेनेजुएला में छिपी हुई हैं, क्योंकि मादुरो शासन के खिलाफ उनकी सक्रियता के कारण उनके खिलाफ उत्पीड़न जारी है। उनकी स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।पुरस्कार प्राप्ति के बाद, मचाडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का धन्यवाद करते हुए कहा, यह पुरस्कार वेनेजुएला की जनता की संघर्ष की जीत है। मैं राष्ट्रपति ट्रंप का आभारी हूं, जिन्होंने हमारे लोकतांत्रिक संघर्ष में समर्थन दिया। मारिया कोरिना मचाडो की कहानी लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष की प्रेरणा है। उनका साहस और प्रतिबद्धता वेनेजुएला और वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
नोबेल पुरस्कार मिलने की शुरुआत साल 1901 में हुई थी
नोबेल पुरस्कार की स्थापना अल्फ्रेड नोबेल ने की थी, जो स्वीडिश रसायनज्ञ और व्यवसायी थे। अल्फ्रेड नोबेल ने 1866 में डायनामाइट का आविष्कार किया और अपने जीवन में विज्ञान, साहित्य और समाज के लिए योगदान दिया। अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने 1895 में अपनी वसीयत में नोबेल पुरस्कार के लिए निर्धारित किया। नोबेल पुरस्कार पहली बार 1901 में वितरित किया गया। शुरुआत में पांच मुख्य श्रेणियां थीं जिसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य और शांति। बाद में 1969 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी नोबेल पुरस्कार जोड़ा गया। भौतिकी, रसायन विज्ञान और चिकित्सा स्वीडन के विशेषज्ञ संस्थानों द्वारा चुना जाता है। साहित्य, स्वीडिश अकादमी द्वारा चयन किया जाता है। शांति पुरस्कार, नॉर्वे के नोबेल कमेटी द्वारा ओस्लो में दिया जाता है। अर्थशास्त्र, स्वीडिश राष्ट्रीय बैंक द्वारा दिया जाता है। चयन प्रक्रिया में विशेषज्ञ जांच और गोपनीयता बनी रहती है। नोबेल शांति पुरस्कार उन व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाता है जिन्होंने वैश्विक शांति, संघर्ष समाधान, मानवाधिकार और न्याय के लिए विशेष योगदान दिया हो। यह विश्व में सम्मान और मान्यता का प्रतीक है। पुरस्कार में धन राशि, पदक और प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। शांति पुरस्कार विजेताओं ने युद्ध रोकने, लोकतंत्र स्थापित करने और सामाजिक सुधार के लिए काम किया। कभी-कभी पुरस्कार विवादास्पद रहा है क्योंकि चयन प्रक्रिया में राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी देखा गया।






