बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड जदयू ने गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार भाजपा की रणनीति कुछ अलग है। पार्टी के शीर्ष नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह चाहते हैं कि भाजपा इस बार चुनाव में “बड़ा भाई” की भूमिका में नजर आए और गठबंधन में प्रमुख नेतृत्व करे। हालांकि जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने मजबूत जनाधार के कारण गठबंधन की अहम हिस्सा बने हुए हैं, लेकिन भाजपा की कोशिश है कि पार्टी अकेले की स्थिति में भी मजबूत पोजीशन बनाए और चुनाव परिणामों में प्रमुख प्रभाव दिखाए। इस रणनीति के तहत भाजपा ने चुनावी मैदान में अपने वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय नेतृत्व को सक्रिय किया है, ताकि गठबंधन में उसकी भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आए। यह पहली बार होगा जब भाजपा बिहार में अकेले सरकार बनाने का सपना देख रही है, और इसके लिए पार्टी ने अपनी रणनीति और संगठन शक्ति दोनों को पूरी तरह सक्रिय कर रखा है। बिहार की जनता अब इस चुनाव में गठबंधन की भूमिका और भाजपा की प्रमुखता पर ध्यान दे रही है, जिससे यह चुनाव पिछले सभी चुनावों से कुछ अलग और अहम बन गया है। दिव्य हिमगिरि रिपोर्ट
बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अकेले सरकार बनाने का लक्ष्य तय किया है। भाजपा राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि जेडीयू भी 101 सीटों पर चुनाव मैदान में है। भाजपा की यह रणनीति गठबंधन में अपनी प्रमुख भूमिका स्थापित करने की ओर इशारा करती है। गठबंधन में जदयू के प्रमुख नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति पहले जैसी मजबूत नहीं रही है। भाजपा ने जदयू के साथ समान संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भाजपा अब गठबंधन में “बड़ा भाई” की भूमिका निभाने की ओर अग्रसर है। इससे पहले, जदयू और भाजपा ने बराबरी की सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया है। भाजपा की यह रणनीति न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की ओर भी इशारा करती है। बिहार में बीजेपी यथास्थिति बनाए हुए है। और, वो भी बीते बीस साल से। एनडीए की सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होते हैं। बीजेपी ने कदम बस इतना ही बढ़ाया है कि एक से दो डिप्टी सीएम तक पहुंच गई है। अब तक ऐसा प्रयोग भी दो बार हो चुका है। लेकिन, नतीजा सिफर ही रहा है। 2020 में स्थिति बेहतर होने के बावजूद, बीजेपी ने जोखिम न उठाने का फैसला किया। जेडीयू की सीटें काफी कम आने के बावजूद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनाए गए। 2025 के चुनाव में एनडीए के मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया गया है, लेकिन नीतीश कुमार का कोई विकल्प भी नहीं नजर आ रहा है। नीतीश कुमार के नाम पर सस्पेंस अब भी बना हुआ है। चुनाव बाद वो मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं, ये पक्का नहीं है। और, ये भी पक्का नहीं है कि चुनाव बाद एनडीए के जीतने पर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। नीतीश कुमार और बीजेपी एक दूसरे को इस मुद्दे पर लगातार छकाते आ रहे हैं। काफी पहले ही अमित शाह ने एक बार बोल दिया था कि मुख्यमंत्री कौन होगा, ये फैसला संसदीय बोर्ड करता है। मतलब, नीतीश कुमार का फिर से मुख्यमंत्री बनना तय नहीं है। अमित शाह के बयान के बाद बिहार में भी महाराष्ट्र जैसे प्रयोग की संभावना देखी जाने लगी थी। अमित शाह के मुंह से नीतीश कुमार के बारे में सुनते ही जेडीयू नेता एक्टिव हो गए, और नीतीश कुमार खामोश। फिर बीजेपी ने बिहार के नेताओं से कहलवाया कि नीतीश कुमार ही नेता होंगे। जेडीयू की तरफ से बयानबाजी और पोस्टरबाजी भी शुरू हो गई। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव परिणामों में इसका क्या प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, भाजपा-जदयू गठबंधन के 101-101 सीटों के बंटवारे ने चुनावी रणनीति के नए अध्याय की शुरुआत कर दी है, जो बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में कई बदलाव ला सकता है। भाजपा इस बार पूरी कोशिश करेगी कि अपना मुख्यमंत्री हो। मोदी हर वह नामुमकिन काम अपने कार्यकाल में कर लेना चाहते हैं, जो भाजपा के पहले के नेता नहीं कर पाए थे। जैसे-दिल्ली चुनाव का उदाहरण ही ले लीजिए। पार्टी पूरे देश का चुनाव जीत जाती थी, दिल्ली में हार जाती थी। उसको धीरे-धीरे रणनीतिक तौर पर साधते हुए जीत गई।’ भाजपा बिहार में उसी रणनीति पर काम कर रही है। धीरे-धीरे अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। नीतीश कुमार को नाराज भी नहीं करना चाहती हैं और अपना मुख्यमंत्री भी बनाना चाहती है।
बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार करने पहुंचे सीएम धामी

बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से उतारा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नवादा जिले की वारसलीगंज सीट से भाजपा प्रत्याशी अरुणा देवी, सिवान जिले से मंगल पांडेय और गोरियाकोठी से देवेशकांत सिंह के नामांकन कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग उनके स्वागत के लिए उमड़े, जो उनकी लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाता है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि एनडीए की गठबंधन वाली सरकार ने बिहार में कई विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की पुनः सरकार बनती है तो बिहार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास की नई गाथा लिखेगा. विपक्ष पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा आरजेडी और कांग्रेस का इतिहास सिर्फ भ्रष्टाचार और परिवारवाद का रहा है। ये लोग बिहार में फिर से जंगल राज लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा लालू परिवार और गांधी परिवार में भ्रष्टाचार की होड़ मची है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि एनडीए की गठबंधन वाली सरकार ने बिहार में कई विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की पुनः सरकार बनती है तो बिहार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास की नई गाथा लिखेगा। विपक्ष पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा आरजेडी और कांग्रेस का इतिहास सिर्फ भ्रष्टाचार और परिवारवाद का रहा है। ये लोग बिहार में फिर से जंगल राज लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा लालू परिवार और गांधी परिवार में भ्रष्टाचार की होड़ मची है। भाजपा के इस कदम को पार्टी की रणनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो उत्तराखंड और बिहार के बीच राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दोनों नेताओं की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।





