केंद्र सरकार ने अब उन करोड़ों रुपयों को उनके हकदारों तक पहुंचाने का बड़ा मिशन शुरू कर दिया है, जो वर्षों से बैंकों, बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंड संस्थानों में लावारिस पड़े थे। ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ नाम से शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य है जनता की मेहनत की कमाई को वापस उन्हीं तक पहुंचाना। वित्त मंत्रालय के अनुसार, देशभर के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में लगभग 1.84 लाख करोड़ रुपये ऐसे हैं जिन पर किसी ने अब तक दावा नहीं किया है, इनमें निष्क्रिय बैंक खाते, बीमा की परिपक्व राशि और म्यूचुअल फंड निवेश की रकम शामिल है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में इस अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि सरकार अब तकनीक की मदद से इन लावारिस निधियों को ढूंढकर लोगों तक पहुंचाने के लिए एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है। इस पोर्टल के माध्यम से लोग अपने नाम, जन्मतिथि या पैन नंबर डालकर यह पता लगा सकेंगे कि कहीं उनके या उनके परिवार के नाम पर कोई निष्क्रिय खाता या बकाया राशि तो नहीं पड़ी है। इस योजना को लेकर सरकार का मानना है कि इससे न केवल जनता का विश्वास बढ़ेगा बल्कि वित्तीय संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही भी मजबूत होगी। वित्त मंत्रालय ने आरबीआई, सेबी और इरडा के साथ मिलकर इसे एक राष्ट्रीय स्तर का वित्तीय जागरूकता अभियान बनाने की योजना बनाई है। दिव्य हिमगिरि रिपोर्ट
बैंकों में पड़े करोड़ों लावारिस रुपयों को केंद्र सरकार ने लौटाने की शानदार पहल की है। इसका मकसद है बैंकों और नियामकों के पास पड़े बिना दावे वाले 1.84 लाख करोड़ रुपये को उनके असली हकदारों तक पहुंचाना। पिछले दिनों केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ नाम की इस मुहिम की शुरुआत की। इस मौके पर गुजरात के वित्त मंत्री कनुभाई देसाई और बैंकों व वित्त मंत्रालय के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। इस कैंपेन में लोगों को उनके अनक्लेम्ड फाइनेंशियल एसेट्स को वापस दिलाने में मदद की जाएगी। वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड के पास इतनी बड़ी रकम बिना दावे के पड़ी है। यह पैसा डिपॉजिट, बीमा, प्रोविडेंट फंड और शेयरों के रूप में है। उन्होंने कहा, यह पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। लोग सही कागजात लेकर आएं, उनका पैसा उन्हें मिल जाएगा। सरकार इसकी जिम्मेदार है। यह कैंपेन तीन महीने तक चलेगा। इसका फोकस तीन चीजों पर है । जागरूकता, पहुंच और कार्रवाई। सीतारमण ने कहा कि सबसे पहले लोगों को यह बताना जरूरी है कि उनका पैसा बैंकों या नियामकों के पास पड़ा है। इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है। उन्होंने अधिकारियों से कहा, आप लोग इसका प्रचार करें। लोगों को बताएं कि उनका पैसा सुरक्षित है। वे सही दस्तावेज लाएं और अपना हक ले जाएं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। ने आरबीआई के UDGAM पोर्टल का जिक्र किया। यह पोर्टल लोगों को उनके बिना दावे वाले डिपॉजिट ढूंढने और दावा करने में मदद करता है। वित्त मंत्री ने कहा, हमें इस पोर्टल के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना होगा। इसके अलावा, बैंकों में हेल्प डेस्क भी बनाए जाएंगे ताकि लोगों को दावा करने में आसानी हो। एक रिपोर्ट के अनुसार देशभर में करीब 30 करोड़ बैंक खाते ऐसे हैं जो वर्षों से निष्क्रिय पड़े हैं। इनमें से कई खाताधारक अब इस दुनिया में नहीं हैं, और वारिसों को यह भी पता नहीं कि उनके नाम पर रकम पड़ी है। बीमा और म्यूचुअल फंड के मामलों में तो स्थिति और भी गंभीर है । जहां पॉलिसी या निवेश की जानकारी परिवार के पास नहीं होती और रकम कंपनियों के पास ही रह जाती है। हाल में वित्त मंत्रालय ने खुलासा किया कि आरबीआई के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड, सेबी के इन्वेस्टर प्रोटेक्शन एंड एजुकेशन फंड और इरडा के बीमा फंड में लाखों निष्क्रिय दावे जमा हैं। सरकार की नई योजना अब इन तीनों स्रोतों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाकर लोगों को उनकी रकम तक सीधी पहुंच देने की दिशा में काम कर रही है। पहले लोग बैंक शाखाओं या बीमा कंपनियों के चक्कर काटते थे, दस्तावेजों की कमी या पुराने रिकॉर्ड न मिलने पर दावे खारिज हो जाते थे। अब सरकार की यह पहल आम आदमी के लिए बड़ी राहत साबित होगी।
लोगों की जागरूकता के लिए वर्कशॉप, कैंपेन लगाए जाएंगे
केंद्र सरकार लोगों की जागरूकता के लिए वर्कशॉप, सोशल मीडिया कैंपेन और लोकल लेवल पर कैंप लगाएगी। लोग आसानी से चेक कर सकेंगे कि उनके नाम पर कोई अनक्लेम्ड अमाउंट है कि नहीं। होगी तो दावा करने की पूरी गाइड मिलेगी। बैंक अकाउंट जो 10 साल से ऑपरेट नहीं हो रहे हैं, यानी जिन खातों में 10 साल से कोई लेन-देन नहीं किया गया है। इसके अलावा टर्म डिपॉजिट जिनका मैच्योरिटी क्लेम उनके मैच्योरिटी के दिन से 10 साल के भीतर क्लेम नहीं किया गया है, उन्हें अनक्लेम्ड डिपॉजिट कहा जाता है। इसके अलावा शेयर, डिविडेंड, म्युचुअल फंड और बीमा पॉलिसी जैसे डिपॉजिट भी अनक्लेम्ड डिपॉजिट हो जाते हैं। हालांकि इनकी अवधि अलग-अलग होती है। यानी बैंको की करेंट और सेविंग अकाउंट की तरह 10 साल ना होकर 6 महीने या 3 साल जैसे समय हो सकते हैं। सीतारमण ने तीसरे कदम के बारे में कहा, अगर आपके पास कोई छोटा-सा कागज भी है, जो आपके दावे को साबित कर सकता है, तो उसका इस्तेमाल करें। उन्होंने सभी से इस मुहिम को सफल बनाने के लिए मिलकर काम करने की अपील की।अगर आप या आपके परिवार के किसी सदस्य का पुराना बैंक खाता, बीमा पॉलिसी या निवेश रहा है, तो आने वाले दिनों में लॉन्च होने वाला यह पोर्टल आपके लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।






