(देवभूमि उत्तराखंड अपनी स्थापना के 25 स्वर्णिम वर्षों का उत्सव मनाने जा रही है। 9 नवंबर को जब पूरा राज्य रजत जयंती स्थापना दिवस का पर्व मनाएगा, तो हर घर, हर घाटी और हर शिखर गर्व से झूम उठेगा। राजधानी देहरादून दीपों की रोशनी में नहाई हुई है। देहरादून का ऐतिहासिक घंटाघर, एफआरआई, विधानसभा भवन, सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास से लेकर शहर की गलियों तक, हर ओर उमंग और उत्साह का उजाला बिखरा है। सड़कों पर रंग-बिरंगी रोशनियां, इमारतों पर झिलमिल लाइटें और लोगों के चेहरों पर मुस्कान मानो पूरा उत्तराखंड कह रहा हो। यह हमारी अपनी कहानी है, हमारे संघर्ष और हमारे सपनों की जीत है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार इस पर्व को सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि राज्य के विकास की गाथा के रूप में मना रही है। जनभावनाओं, संस्कृति और नई उपलब्धियों को जोड़ते हुए कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा तैयार है। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी इस ऐतिहासिक अवसर पर देवभूमि पहुंचेंगे, जिससे उत्सव की भव्यता और बढ़ जाएगी। 25 वर्षों पहले जन्मी यह भूमि अब नई ऊंचाइयों पर खड़ी है। पहाड़ों की तरह अडिग, नदियों की तरह बहती और आस्था की तरह अटल। जिन सपनों की नींव पर उत्तराखंड का निर्माण हुआ था, वे अब हकीकत की चमक में दमक रहे हैं। आज हर उत्तराखंडी के दिल में एक ही भाव उमड़ रहा है । यह 25 साल सिर्फ इतिहास नहीं, हमारी पहचान है। यह पर्व नहीं, उत्तराखंड की आत्मा का उत्सव है।) शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
देवभूमि उत्तराखंड अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने जा रहा है और राज्यभर में रजत जयंती समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस भव्य स्तर पर मनाया जाएगा। देवभूमि आज इतिहास के उस मुकाम पर खड़ी है जहां पीछे देखने पर संघर्षों की गाथा दिखाई देती है, और आगे देखने पर संभावनाओं का सुनहरा भविष्य। 9 नवंबर 2000 वह दिन जब उत्तराखंड ने अपनी अलग पहचान बनाई थी। वह दिन जब हजारों माताओं की आँखों में आंसू थे, लेकिन वे आंसू गर्व और उम्मीद के थे। वह दिन जब इस पर्वतीय भूमि ने कहा था। अब हमारी आवाज खुद हमारी होगी। 25 साल बाद, जब उत्तराखंड अपनी रजत जयंती मना रहा है, तो यह केवल एक जश्न नहीं, बल्कि उन सपनों की पुनः स्मृति है जिन्हें लोगों ने अपनी पीड़ा और त्याग से सींचा था। उत्तराखंड राज्य का जन्म आसान नहीं था। अनेक जनआंदोलनों, धरनों और अनगिनत बलिदानों के बाद इस राज्य की नींव रखी गई। पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी आंदोलनकारियों ने हार नहीं मानी। मुंशी हरिदत्त पंत से लेकर इंद्रमणि बडोनी, श्रीदेव सुमन, महिला आंदोलन की अनगिनत वीरांगनाएं सभी ने अपने साहस से इतिहास रचा। हर मोड़ पर यह मांग उठती रही कि पहाड़ का विकास, पहाड़ के हाथों से ही होना चाहिए। आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड अस्तित्व में आया तभी से इस दिन को हर दिल में एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। राजधानी देहरादून समेत सभी जिलों में सरकारी इमारतों, चौक-चौराहों और ऐतिहासिक भवनों को रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया जा रहा है। देहरादून का ऐतिहासिक घंटाघर, एफआरआई, विधानसभा भवन, सचिवालय और राजभवन आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने इस अवसर पर 1 से 11 नवंबर तक “रजत जयंती उत्सव सप्ताह” मनाने की घोषणा की है। इस दौरान राज्य के विकास, संस्कृति और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाले कई कार्यक्रम आयोजित होंगे। 25 वर्षों का यह सफर हमें बताता है कि पहाड़ झुकते नहीं वे केवल ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं। उत्तराखंड ने अपने संघर्षों से सीखा है, अपनी संस्कृति से जिया है, और अब अपने भविष्य को गढ़ने चला है। आज जब पूरा राज्य दीपों से जगमगा रहा है, तो यह केवल जश्न का उजाला नहीं, बल्कि आत्मगौरव की लौ है । जो हर दिल में जल रही है, और कह रही है। धामी सरकार 25 साल की उपलब्धियों के साथ अगले 25 वर्षों का विकास रोडमैप भी जनता के सामने पेश करेगी। 3 और 4 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें राज्य की 25 साल की यात्रा, चुनौतियां और भविष्य की दिशा पर चर्चा होगी। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने पुलिस कर्मियों के आवास सुधार के लिए प्रति वर्ष 100 करोड़ के प्रावधान की घोषणा की है। राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में आमंत्रित किया है। संभावना है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री 9 नवंबर को देहरादून पहुंचकर मुख्य समारोह में शामिल होंगे। इस बार का रजत जयंती समारोह सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि राज्य की विकास यात्रा का प्रतीक होगा। कार्यक्रमों में राज्य की संस्कृति, लोककला, महिला सशक्तिकरण और पर्वतीय विकास पर आधारित प्रदर्शनी और प्रस्तुतियां होंगी। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल जिलों में विशेष नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं। पूरे शहर में लाइटिंग, साफ-सफाई और यातायात व्यवस्थाओं को लेकर जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं। सरकार का लक्ष्य है कि यह रजत जयंती समारोह उत्तराखंड के अब तक के सबसे भव्य और यादगार आयोजनों में शामिल हो।
यह रजत पर्व राज्य आंदोलनकारियों और मातृशक्ति को समर्पित : सीएम धामी
हरिद्वार में आयोजित “देवभूमि रजत उत्सव 2025” कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य निर्माण में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले राज्य आंदोलनकारियों और मातृशक्ति को नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रजत उत्सव मात्र एक आयोजन नहीं, बल्कि उन वीरों, माताओं-बहनों और युवाओं के प्रति भावांजलि अर्पित करने का पावन अवसर है, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य स्थापना के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड अस्तित्व में आया, तब यह नवोदित राज्य सीमित संसाधनों और भौगोलिक कठिनाइयों से जूझ रहा था, लेकिन देवभूमि के लोगों में यह अटूट विश्वास था कि कुछ भी हो जाए, हम इस राज्य को आगे बढ़ाकर ही दम लेंगे। आज जब हम 25 वर्षों बाद पीछे मुड़कर देखते हैं तो गर्व से कह सकते हैं कि उत्तराखंड ने न केवल चुनौतियों को पार किया, बल्कि विकास के नए मानक स्थापित किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान केवल प्राकृतिक सुंदरता से नहीं, बल्कि इसकी संस्कृति, लोक परंपराओं और आस्था से भी है। देवभूमि रजत उत्सव हमारी इसी गौरवशाली विरासत का प्रतीक है, जो हमारी सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत बनाए रखता है। यहां आयोजित प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि उत्तराखंड अपनी परंपराओं में रचा-बसा राज्य है, लेकिन भविष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर भी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज राज्य में सर्वांगीण विकास का अभियान चल रहा है। गांवों से लेकर शहरों तक, किसानों से लेकर युवाओं तक, मातृशक्ति से लेकर श्रमशक्ति तक हर वर्ग के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, खेल, पेयजल और हवाई कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। लोकल फॉर वोकल, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों से स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को नई ऊर्जा मिल रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले चार वर्षों में सरकार ने कई कठोर लेकिन जनहितकारी निर्णय लिए हैं। धर्मांतरण विरोधी कानून, सख्त दंगारोधी कानून, लव जिहाद, लैंड जिहाद और नकल विरोधी कानून जैसे कदमों से शासन व्यवस्था में पारदर्शिता आई है। साथ ही समान नागरिक संहिता कानून, अवैध मदरसों पर कार्रवाई और ऑपरेशन कालनेमि जैसे अभियानों के माध्यम से राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की है, और इस दिशा में सख्त कार्यवाही लगातार जारी है।
मुख्यमंत्री ने हरिद्वार के चहुंमुखी विकास को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि शहर में 186 करोड़ रुपये की सीवरेज परियोजना और 187 करोड़ रुपये से अधिक की पेयजल योजनाएं चल रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है और लालढांग क्षेत्र में मॉडल डिग्री कॉलेज स्थापित किया गया है। धर्मनगरी को काशी विश्वनाथ और उज्जैन महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने के लिए हरिद्वार–ऋषिकेश कॉरिडोर की डीपीआर तैयार की जा चुकी है। इसके साथ ही हेलीपोर्ट निर्माण, हरकी पैड़ी से चंडी देवी तक रोपवे और लालढांग पुल जैसी परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ 2027 के लिए सरकार अभी से तैयारियों में जुटी है। लेकिन उनके संज्ञान में निर्माण कार्यों में कुछ अनियमितताओं की शिकायतें आई हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कुंभ निर्माण कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी अधिकारी और कार्यदायी संस्थाएं गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य हरिद्वार को एक विश्वस्तरीय धार्मिक एवं पर्यटन शहर के रूप में विकसित करना है। देवभूमि रजत उत्सव 2025 के दौरान आधुनिक तकनीक और परंपरा का अनोखा संगम भी देखने को मिला, जब एक अत्याधुनिक एआई रोबोट ने मंच से “डिजिटल इंडिया” की सफलता गाथा सुनाई। रोबोट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारत आज विश्व का तकनीकी महाशक्ति केंद्र बन चुका है। इस अनूठे प्रस्तुतीकरण का दर्शकों ने तालियों की गूंज के साथ स्वागत किया। कार्यक्रम का समापन राज्य निर्माण में योगदान देने वाले आंदोलनकारियों, मातृशक्ति और युवा पीढ़ी के प्रति श्रद्धांजलि के साथ हुआ। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देवभूमि का यह रजत उत्सव केवल एक जश्न नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा, उसकी संस्कृति और उसके संघर्षों का उत्सव है। यह अवसर हमें स्मरण दिलाता है कि जिन सपनों के लिए यह राज्य बना था, अब उन्हें साकार करने का समय आ गया है। 25 वर्ष की इस गौरवशाली यात्रा के बाद उत्तराखंड अब विकसित, सशक्त और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
कांग्रेस भी राज्य गठन के 25 साल का उत्सव जोर-शोर के साथ बनाएगी
उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 साल पूरे होने पर प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने इसे बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने रजत जयंती समारोह को यादगार बनाने के लिए 15 दिन का विस्तृत कार्यक्रम तय किया है, जो 1 नवंबर से 14 नवंबर तक प्रदेशभर में चलेगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि यह कार्यक्रम सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि राज्य निर्माण में दिए गए बलिदानों को याद करने और विकास यात्रा पर चिंतन का भी अवसर होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस रजत जयंती को बेहद खास और ऐतिहासिक अंदाज में मनाएगी। शनिवार को उत्तराखंड राज्य स्थापना की 25वीं रजत जयंती के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कचहरी स्थित शहीद स्थल पर राज्य आंदोलनकारियों को नमन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण केवल आंदोलनकारियों के त्याग और जनता के संघर्ष का परिणाम है। रावत ने कहा कि राज्य आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका अग्रणी रही थी, क्योंकि कई शहीद आंदोलनकारी कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने खटीमा, मसूरी और देहरादून में शहादत देने वाले आंदोलनकारियों के नाम लेते हुए उनकी भूमिकाओं पर बताया। पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा है कि राज्य के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 3-4 नवंबर को आयोजित विशेष विधानसभा सत्र “प्रतीकात्मक” है। उन्होंने इसे “आंख धोने वाला अभ्यास” बताया और कहा कि इतने महत्वपूर्ण सत्र के लिए कम-से-कम चार-पांच दिन का समय होना चाहिए था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्यों यह सत्र पहाड़ी इलाकों में नहीं, बल्कि देहरादून में आयोजित किया जा रहा है। गढ़वाल-कुमाऊं आदि पर्वतीय क्षेत्र उन्होंने इस चयन को राज्य की अस्मिता के विरुद्ध माना। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अगले 25 वर्षों की रोडमैप तैयार करने का काम जल्दीबाजी में किया जा रहा है, जबकि असल में पहले समिति बनकर समुचित शोध-परामर्श होनी चाहिए थी।






