तीनों धामों के द्वार बंद, अब बदरीधाम की बारी

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उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ चली है। श्रद्धा और भक्ति से सराबोर वातावरण के बीच गंगोत्री, यमुनोत्री और बाबा केदारनाथ धाम के कपाट विधिविधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बंद कर दिए गए। सबसे पहले यमुनोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर की दोपहर 12:49 बजे, इसके बाद गंगोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को सुबह 8 बजे, और फिर बाबा केदारनाथ धाम के कपाट 24 अक्टूबर की सुबह 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद किए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाबा केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की। तीनों धामों के कपाट बंद होने के साथ ही अब भक्तों की निगाहें भगवान बदरीविशाल पर टिकी हैं, जिनके कपाट 25 नवंबर को बंद होंगे। राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन स्वयं केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंचकर व्यवस्थाओं और तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कपाट बंदी की संपूर्ण प्रक्रिया और तीर्थ पुरोहितों द्वारा किए जा रहे अनुष्ठानों का जायजा लिया। चारधाम यात्रा के इस वर्ष ऐतिहासिक स्वरूप लेने के बाद अब जब तीन धामों में शीतकालीन विराम का दौर शुरू हो गया है, श्रद्धालु आस्था के इस पर्व की स्मृतियों को मन में बसाकर बदरीनाथ धाम की विदाई का इंतजार कर रहे हैं। दिव्य हिमगिरि रिपोर्ट

चारधाम यात्रा के पावन समापन की आहट के साथ उत्तराखंड के तीन प्रमुख धामों गंगोत्री, यमुनोत्री और बाबा केदारनाथ के कपाट अब शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं। अब केवल भगवान बदरीविशाल के धाम की विदाई शेष है, जिनके कपाट 25 नवंबर को विधि-विधानपूर्वक बंद किए जाएंगे। इस बार चारधाम यात्रा ने आस्था और रिकॉर्ड दोनों के नए कीर्तिमान स्थापित किए। लाखों श्रद्धालुओं ने हिमालय की गोद में बसे इन पवित्र धामों में पहुंचकर दर्शन किए और दिव्यता का अनुभव किया। कपाट बंदी के साथ ही यात्रा का यह अध्याय भले कुछ समय के लिए थम गया हो, लेकिन श्रद्धा की ज्योति अब भी हर भक्त के हृदय में जल रही है। सबसे पहले गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर की दोपहर 12:49 बजे शुभ मुहूर्त में बंद हुए। 23 अक्टूबर को वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के बीच बाबा केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए।इस दौरान पूरी केदारघाटी हर हर महादेव और जय बाबा केदार के जयघोष से गूंज उठी। कपाट बंद होने के मौके पर केदारनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाबा केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की। केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप केदारपुरी दिव्य और भव्य नजर आ रही है। चारधाम यात्रा में इस वर्ष रिकाॅर्ड 50 लाख श्रद्धालु पहुंचे । उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा संपन्न होने के बाद शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं का अभिवादन भी स्वीकार किया। कपाट बंदी से पहले केदारनाथ धाम में बाबा केदार की डोली भक्तों के जयकारों के बीच ओंकारेश्वर मंदिर (उखीमठ) के लिए रवाना हुई। इस दौरान पूरे धाम परिसर में हर-हर महादेव के जयघोष गूंजते रहे। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धामों के कपाट बंद होने के बाद अब सभी की निगाहें बदरीनाथ धाम पर टिकी हैं। परंपरा के अनुसार, भगवान बदरीविशाल के कपाट 25 नवंबर को दोपहर बाद शीतकाल के लिए बंद होंगे। इसके बाद भगवान की पूजा जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में जारी रहेगी। चारधाम यात्रा 2025 भक्ति, अनुशासन और समर्पण की एक मिसाल बन गई है। यात्रा के दौरान रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए और इस धार्मिक यात्रा को उत्तराखंड की आध्यात्मिक विरासत का अभिन्न प्रतीक बना दिया। इस साल चारधाम यात्रा न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बनी, बल्कि यात्रा प्रबंधन और प्रशासनिक तैयारी के लिए भी एक मिसाल साबित हुई। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि राज्य सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और मार्ग व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया। इस बार यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु आए। गंगोत्री और यमुनोत्री में तो कपाट बंद होने से पहले ही कई हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिए। केदारनाथ धाम में भी भीड़ का अनुमान पिछले वर्षों की तुलना में 30-35% अधिक रहा। प्रशासन ने यात्रा मार्गों पर रैफ्यूज, मेडिकल सुविधाएं और यात्री मार्गदर्शन जैसी सुविधाओं को और मजबूत किया। स्थानीय दुकानदार और होटल संचालक भी इस तैयारियों से संतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि इस बार न केवल भक्तों की संख्या बढ़ी, बल्कि यात्रा व्यवस्थित होने के कारण सभी सुविधाओं का लाभ यात्रियों को मिला, जिससे अनुभव और भी सुखद रहा। चारधाम यात्रा ने इस बार यह संदेश दिया कि आस्था और प्रशासनिक तैयारी एक साथ मिलकर तीर्थयात्रा को सुरक्षित और यादगार बना सकती हैं, और यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु हर साल इस पर्व की प्रतीक्षा में रहते हैं।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंचकर पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की

राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन स्वयं केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंचे, जहां उन्होंने कपाट बंदी की तैयारियों, यात्रियों की सुविधाओं और धाम क्षेत्र में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शीतकाल में भी मार्गों की रख-रखाव, श्रद्धालुओं की सुविधा और आपातकालीन सेवाओं पर कोई कमी न हो। मुख्य सचिव ने धाम क्षेत्र में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि केदारनाथ धाम आज पूरे देश में पुनर्निर्माण और पुनरुत्थान का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार, प्रसासन का लक्ष्य केवल भौतिक निर्माण नहीं, बल्कि आस्था और सुविधा का संतुलित संगम सुनिश्चित करना है, ताकि श्रद्धालुओं को एक पवित्र, सुरक्षित और दिव्य अनुभव प्राप्त हो। मुख्य सचिव ने कहा कि अब से ही अगले यात्रा सत्र 2026 की तैयारी प्रारंभ कर दी जानी चाहिए। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि सभी व्यवस्थाओं की पूर्व योजना तैयार की जाए ताकि अगले यात्रा सीजन में यात्रियों को और भी बेहतर सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, संचार, परिवहन, सुरक्षा, और आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों के बीच समन्वय को और मजबूत करने पर बल दिया।।

इस बार श्रद्धालुओं की संख्या का रिकॉर्ड टूटा, 50 लाख तीर्थयात्री दर्शन करने पहुंचे

इस बार चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या का रिकॉर्ड टूट चुका है। 50 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचे। बीच कई बार प्राकृतिक आपदाओं के चलते यात्रा में रुकावटें आयीं लेकिन तीर्थयात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ। यात्रा की सफलता के लिए उत्तराखंड सरकार ने भी विशेष इंतजाम किए थे, जिसका असर भी देखने को मिला था। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 2025 की चारधाम यात्रा ने विश्व स्तर पर उत्तराखंड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि को मजबूत किया। अगले साल और बेहतर सुविधाओं के साथ यात्रियों का स्वागत करेंगे। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि शीतकालीन पूजा स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ स्थानीय सांस्कृतिक आयोजनों को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों का प्रतीक है। सरकार के सुनियोजित प्रयासों और सभी विभागों के सहयोग से यह यात्रा इस वर्ष भी रिकॉर्ड स्तर पर सफल रही है। उल्लेखनीय है कि चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर हुई, जब यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट परंपरागत विधि-विधान के साथ खोले गए। इसके बाद 2 मई 2025 को केदारनाथ धाम के कपाट खुले, और 4 मई 2025 को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो गई। पूरे यात्रा सीजन में देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने इन पवित्र धामों के दर्शन किए। राज्य सरकार की ओर से यातायात, चिकित्सा और आवास व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए गए थे। मौसम ने भी अधिकांश समय यात्रियों का साथ दिया, हालांकि कुछ ऊंचाई वाले इलाकों में बीच-बीच में बर्फबारी और बारिश से यात्रा कुछ दिनों प्रभावित रही।

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