मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में आयुष विभाग नया इतिहास लिख रहा है: दीपेंद्र चौधरी

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सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग, उत्तराखंड शासन एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपेंद्र चौधरी जी से विशेष बातचीत

उत्तराखंड सचिवालय के गलियारों में यदि किसी अधिकारी का नाम सादगी, संकल्प और संवेदना के प्रतीक रूप में लिया जाता है, तो वह हैं दीपेन्द्र चौधरी। प्रचार से दूर, परिणामों में विश्वास रखने वाले इस अधिकारी ने अपने अनुशासित और सौम्य व्यक्तित्व से शासन प्रशासन की कार्यशैली को न केवल नया दृष्टिकोण दिया, बल्कि हर जिम्मेवारी को समाजहित की कसौटी पर खरा भी उतारा। श्री चौधरी की कार्यशैली की सबसे खास बात यह है कि वे कभी किसी ‘मंत्र’ या ‘माइक’ पर नहीं दिखते, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके फैसलों की गूंज सुनी जाती है। वे उन अधिकारियों में हैं जो ‘फाइल से पहले फील्ड’ की भावना में विश्वास करते हैं। वीपेन्द्र चौधरी का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। पिता पूर्व सैनिक रहे और मां एक कर्मठ गृहिणी। पांच बहनों के बाद परिवार में जन्मे इकलौते पुत्र ने बचपन से ही सादगी, स्वावलंबन और आत्म-सम्मान को जीवन की प्राथमिक शिक्षा बना लिया। शिक्षा की नींव सरस्वती शिशु मंदिर से पड़ी, तो आत्मानुशासन की गूंज सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में मिली। यहां से उन्होंने वह दृष्टि और ऊर्जा प्राप्त की, जिसने उन्हें जीवन की हर परीक्षा में आगे बढ़ना सिखाया। नैनीताल से विज्ञान विषय में स्नातक और लखनऊ विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। बचपन से ही यह संकल्प था कि समाज की सेवा करनी है और इस सेवा का सबसे प्रभावशाली रास्ता प्रशासनिक सेवा ही है। यही सोच उन्हें सिविल सेवा की ओर ले गई। दीपेन्द्र चौधरी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के अनेक जिलों में कार्य करते हुए समाज की जटिल समस्याओं को सीधे सुलझाया। चाहे शहरों की यातायात व्यवस्था हो या गांवों के विद्यालय, पहाड़ की वनाधिकार संबंधी उलझनें हों या खनन व आबकारी जैसे संवेदनशील विभाग-हर जिम्मेवारी में उन्होंने मानवमूल्यों को प्राथमिकता दी। वे जब भी किसी जिले में तैनात रहे, वहां की सबसे बड़ी ताकत बन गए ‘जनता की आवाज़’। पेश है वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक विश्लेषक हरिशंकर सैनी से हुई उनकी बातचीत के कुछ अंश.. संपादक

उत्तराखंड में आयुष विभाग की वर्तमान स्थिति क्या है?
उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों और औषधीय वनस्पतियों से भरपूर है। आयुष क्षेत्र में हम बड़ी तेजी से विकास कर रहे हैं। राज्य में 770 आयुर्वेदिक राजकीय चिकित्सा अधिकारी, 117 होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी, चार यूनानी चिकित्सा अधिकारी वूमेन आयुर्वेदिक होम्योपैथिक यूनानी चिकित्सालय एवं डिस्पेसिटी में दूरस्थ क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं साथ ही नेशनल आयुष मिशन, नेशनल हेल्थ मिशन, आर.एस.बी.के.. आर.सी.एच. प्रोग्राम आदि के अंतर्गत भी 300 से अधिक चिकित्सक अपनी सेवाएंदे रहे हैं। राज्य के हर जिले में आयुष स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक अंब्रेला सिस्टम के अंतर्गत हर चिकित्सालय में एक आयुष बिजली स्थापित की गई है। आयुष शिक्षा संस्थानों का आधुनिकीकरण हो रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मजबूत नेतृत्व में आयुष विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में नई दिशा और गति पाई है।


मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में आयुष विभाग ने कौन-कौन से नए आयाम स्थापित किए हैं?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आयुष को राज्य की प्राथमिकता दी है। उन्होंने विभाग को हर स्तर पर सशक्त बनाने का काम किया है। आयुष को केवल चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि संपूर्ण विकास के उपकरण के रूप में लिया जा रहा है। ‘आयुष ग्राम’ योजना, वेलनेस टूरिज्म, औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती, और आयुष आधारित स्वरोजगार एवं उद्योगों को बढ़ावा इसी का हिस्सा हैं। धामी जी का लक्ष्य है कि उत्तराखंड देश में ‘आयुष प्रदेश’ के रूप में पहचाना जाए।
‘आयुष प्रवेश’ बनाने की अवधारणा पर विस्तार से बताएं।
‘आयुष प्रदेश’ का मतलब है कि आयुष पद्धतियां जन-जन तक पहुंचें और राज्य के विकास का हिस्सा बनें। इसका मतलब है आयुष शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और पर्यटन में आयुष को जोड़ना। हमने ‘आयुष ग्राम’ की योजना शुरू की है, जहां पंचकर्म एवं वैलनेसकेंद्र, योग केंद्र, जड़ी-बूटी की खेती, ऑर्गेनिक फार्मिंग एवं आयुष प्रोडक्ट वैल्यू एडिशन और आयुष आधारित प्राकृतिक जीवनशैली को बढ़ावा दिया जाता है। मुख्यमंत्री धामी की पहल से इन योजनाओं को तेज गति मिली है।


आयुष शिक्षा और रोजगार को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं?
राज्य में मैं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि यूजीसी से अनुमोदित है। भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के राष्ट्रीय आयोग, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग से सम्बद्ध है। वर्तमान में आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पास हेरिटेज दो कॉलेज ऋषिकुल कैंपस जिसको हरिद्वार में महामना मदन मोहन मालवीय जी ने 1919 में स्थापित किया था एवं दूसरा हेरिटेज कैंपस गुरुकुल कैंपस जिसको स्वामी श्रद्धानंद जी ने 1921 में हरिद्वार में स्थापित किया था, इसके अतिरिक्त मुख्य परिषद में 2014 में हर्रावाला में सरकारी कैंपस स्थापित किया गया। विश्वविद्यालय के पास 16 प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेज है जिसमें पतंजलि जैसे ख्याति प्राप्त कॉलेज भी हैं। एक यूनानी प्राइवेट कॉलेज एक होम्योपैथी प्राइवेट कॉलेज संचालित है तथा मुख्य परिसर में एक होमियोपैथिक सरकारी कॉलेज की स्थापना की जा रही है। हरिद्वार स्थित ऋषिकुल परिसर को भारत सरकार की अपग्रेडेशन स्कीम के तहत अभी 178 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है जिसको बहुत शिक्षा से विश्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त ऑल इंडिया इंस्टीटयूट आफ आयुर्वेद स्टार का कैंपस बनाया जाएगा। प्रदेश के गठन के बाद प्रदेश में आयुष कॉलेजों की क्रमशः संख्या बढ़ाई गई है और आधुनिक सुविधाएं दी गई हैं। हम छात्रों को शुद्ध आयुष प्रैक्टिस, शोध, स्टार्टअप, और उद्यमिता रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। आयुष शिक्षा को व्यावसायिक और रोजगार उन्मुख बनाना हमारी प्रथम प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री धामी के समर्थन से हमने स्कॉलरशिप, रिसर्च ग्रांट, और उद्योग से जुड़ाव, इंडस्ट्री व शैक्षिक संस्थान, सरकारी संस्थाओं, शोध संस्थान के मध्य एम०ओ०यू० को बढ़ावा दिया है।


ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष का महत्व कैसे बढ़ाया जा रहा है?
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, इसलिए आयुष यहां बहुत उपयोगी है। पूरे प्रदेश भर के दूरस्थ दुर्गम इलाकों में भी आयुष के चिकित्सा सेवाएं दे रहे हैं। नेशनल आयुष मिथुन के अंतर्गत प्राप्त अनुदान से आयुष आरोग्य मंदिर कम कर रहे हैं जहां पर स्थानीय लोगों को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ प्रबंधन के लिए योग के लिए प्रोत्साहित किया जाता है एवं जन स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रम इत्यादि किये जाते हैं। हमने स्थानीय युवाओं को आयुष आधारित स्वरोजगार से जोड़ने पर विशेष जोर दिया है। औषधीय पौधों की खेती, घरेलू उपचार, और आयुष पॉलिसी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के इंसेंटिव एवं छूठ का प्रावधान किया है विभिन्न योजनाएं भी आयुष सेक्टर को विकसित करने के लिए शुरू की गई हैं। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में इन पहलों को व्यापक स्तर पर बढ़ावा मिल रहा है।


आयुष और एलोपैथी के बीच संतुलन कैसे बनाएंगे?

आयुष और एलोपैथी दोनों ही चिकित्सा के वैध तरीके हैं। हम इन्हें एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखते हैं। इसी को जिला जिला अस्पताल कम्युनिटी हेल्थ सेंटर एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर आयुष बैंक की स्थापना भी उत्तराखंड सरकार द्वारा की गई है जिससे सभी केदो पर सभी पद्धतियों की चिकित्सा परामर्श लोगों को प्राप्त हो। हमारा प्रयास है कि दोनों पद्धतियों को एकीकृत कर बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करें। मुख्यमंत्री धामी ने भी इस समेकित दृष्टिकोण को अपनाने में पूरी मदद की है।

आयुष और पर्यटन का मेल उत्तराखंड के लिए क्या अवसर लाता है?
उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध योग और ध्यान केंद्र है। यहां विश्व प्रसिद्ध बाबा योग गुरु रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण जी द्वारा स्थापित पतंजलि योग केंद्र हरिद्वार में स्थित है। ऋषिकेश में प्राचीनतम शिवानंदयोग केंद्र, कई अन्य प्राचीन सिद्ध स्थान एवं योग केंद्र ऋषिकेश सहित उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में स्थापित है। अब हम वेलनेस, पंचकर्म प्राकृतिक चिकित्सा, वैलनेस टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रहे हैं। पर्यटक आयुर्वेदिक उपचार, पंचकर्म, और योग थेरेपी का लाभ उठा रहे हैं। इससे स्थानीय रोजगार बढ़ता है और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। मुख्यमंत्री धामी के दूरदर्शी फैसलों से यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है।

उत्तराखंड के युवाओं को आयुष से कैसे जोड़ा जा रहा है?
उत्तरः हमारा ध्यान युवाओं को आयुष क्षेत्र में प्रशिक्षण, शिक्षा और स्टार्टअप के अवसर देने पर है। सभी आयुर्वेदिक होम्योपैथिक कॉलेज के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी डॉक्टर के स्किल डेवलपमेंट के लिए फार्मेसी एवं उद्योगों का प्रशिक्षण के लिए कहां जा रहा है। जिससे चिकित्सा के साथ-साथ फार्मा उद्योग को भी समझ सके। आयुर्वेद में एमडीएमएस मैं शोधार्थियों को स्कॉलरशिप प्रदान की जा रही है एवं पीएचडी के पाठ्यक्रम आयुर्वेद एवं इंट्रडिसीप्लिनरी साइंस में भी किए गए हैं। आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न सेक्टर में पीजी डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स भी संचालित किया जा रहे हैं। यह करने के का उद्देश्य है कि युवा सिर्फ डॉक्टर न बनें, बल्कि आयुष में उद्यमी भी बनें जैसे हर्बल उत्पाद, कॉस्मेटिकउत्पाद, आयुर्वेदिक यूनानी एवं होम्योपैथिक औषधियां निर्माण, फार्मेसी, वेलनेस क्लीनिक, पंचकर्म सेंटर और योग रिसॉर्ट की स्थापना आदि। इससे न केवल उनका करियर संवरता है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है।


अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में क्या गतिविधियाँ चल रही हैं?
हमने आयुष आधारित अनुसंधान को वैज्ञानिक आधार देने की दिशा में ठोस पहल की है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा एमडीएमएस एवं पीएचडी को लेकर लगभग 150 से ज्यादा शोध कार्य प्रतिवर्ष किए जाते हैं। जिनका विभिन्न रिसर्च इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशन, बुक राइटिंग भी समय-समय पर होता है। नॉलेज शेयरिंग के लिए आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं आयुर्वेद होम्योपैथी निदेशालय द्वारा समय-समय पर आर.ओ.टी. पी., सी.एम.ई. स्किल डेवलपमेंट के लिए ट्रेनिंग सेंशन, वर्कशाप एवं सेमिनार आदि आयोजित किया जा रहे हैं। विभिन्न जन हित से जुड़े हुए कैंपेन, पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति अभियान आदि में भी आयुष विभाग चकराता से प्रतिभाग कर रहा है। उत्तराखंड की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों, लोक उपचार और जड़ी-बूटियों पर आधारित एविडेंस-बेस्ड स्टडीज करवाई जा रही हैं। इसके साथ ही हम विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और रिसर्च संस्थानों के साथ MoU कर रहे हैं, ताकि आयुष की प्रभावशीलता पर वैज्ञानिक प्रमाण मिले और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिले। उत्तराखंड में अभी हाल में ही वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस का आयोजन देहरादून में किया गया जिसमें विश्व का रिकॉर्ड बना जिसमें 10000 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। 350 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय एक्सपो मेभाग लिया। कुछ समय पहले ही देश के एसएससी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वयं इन्वेस्टर सबमिट में आकर देश भर के उद्योगपतियों को इन्वेस्ट करने के लिए प्रेरित किया। उनके निर्देशन में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखंड
आयुष नीति को विशेष रूप से डिजाइन किया गया जिसमें उद्योगपतियों को आयुष उद्योग संचालित करने के लिए प्रेरित किया जा सके।


महिलाओं की भागीदारी को आयुष के माध्यम से कैसे बढ़ावा दिया जा रहा है?
महिलाओं के लिए आयुष क्षेत्र में विशेष अवसर हैं। हमने महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप. स्वरोजगार समूहों को जड़ी-बूटी प्रसंस्करण, हर्बल उत्पाद निर्माण ट्रेनिंग देने की योजना और जन स्वास्थ्य के लिए घर-घर में एक किचन के अंतर्गत औषधीय क्या कैसे प्रयोग करना है घरेलू एवं पारंपरिक जड़ी बूटियां एवं किचन मसाले पर आधारित स्तर पर उसके लिए भी अभियान चलाने की योजना है, जिससे प्राथमिक स्तर पर छोटी परेशानियों के लिए घर पर ही निवारण करने में मदद मिले। आयुष नीति में हम आयुष उद्योगों के लिए महिलाओं को वारीयता प्रदान करेंगे। मुख्यमंत्री जी ने विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी है, और आयुष इसमें एक सक्षम माध्यम बनकर उभर रहा है।
उत्तराखंड को ‘ग्लोबल वेलनेस डेस्टिनेशन’ बनाने के प्रयासों पर कुछ प्रकाश डालिए।
उत्तराखंड की प्रकृति, शांति और आध्यात्मिकता पहले से ही देश-दुनिया को आकर्षित करती रही है। अब हमारा प्रयास है कि इसे ग्लोबल वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए हर्बल ट्रेल, योग ग्राम, पंचकर्म रिट्रीट, और अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव जैसे आयोजनों की योजना बनाई गई है। हम राज्य के पर्यटन स्थलों को वेलनेस टूरिज्म से जोड़ रहे हैं ताकि आयुष आधारित स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।


निजी क्षेत्र की भागीवारी को लेकर आपकी क्या नीति है?

आयुष क्षेत्र में निजी निवेश का स्वागत है। हमने (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत कई प्रोजेक्ट प्रस्तावित करने की योजना है हैं। इससे न केवल निवेश बढ़ेगा बल्कि गुणवत्ता और नवाचार को भी बल मिलेगा। औषधीय पौधों की प्रोसेसिंग यूनिट, आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माण और वेलनेस सेंटर जैसे क्षेत्रों में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।


आप आयुष के भविष्य को कैसे देखते हैं?

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले वर्षों में आयुष न कंवल भारत की ताकत बनेगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में एक अहम भूमिका निभाएगा। उत्तराखंड इसके केंद्र में रहेगा- एक ऐसा राज्य जो अपने प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक मूल्यों और कुशल प्रशासन के बल पर ‘आयुष प्रदेश’ के रूप में पूरी दुनिया में पहचाना जाएगा। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का जो विज़न है, वह हमारे लिए पथप्रदर्शक है, और हम पूरी निष्ठा से उस दिशा में कार्यरत है
भविष्य की योजनाएं और लक्ष्य क्या हैं? हमारा सपना है कि उत्तराखंड आयुर्वेद
विश्वविद्यालय देश के अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हो। के लिए तथा आवश्यक शैक्षणिक पदों की भर्ती एमएसआर के अनुसार फर्नीचर उपकरण एवं संसाधनों की प्रतिपूर्ति, एवं उन आवश्यकताओं के लिए फेस वाइस मैनर में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। ऋषिकुल में 178 करोड़ की विकास की परियोजना एवं हर्रावाला के विश्वविद्यालय परिसर में होम्योपैथिक कॉलेज एवं भारतीय चिकित्सा परिषद के भवन का का निर्माण गतिमान है। राज्य में 416 जीएमपी सर्टिफाइड आयुर्वेदिक फार्मेसी कार्यरत है। जिसमें कुछ व्हो जीएमपी सिस्टम आधारित आयुष्मान प्रीमियम एवं स्टैंडर्ड मार्क सर्टिफाइड है। राज्य में अपनी स्टेट औषधि निर्माण शाला है हरिद्वार में। तथा विदेश में ड्रग एनफोर्समेंट का एक सशक्त सिस्टम लाइसेंसिंग अधिकारी के माध्यम से स्थापित है तथा राज्य की अपनी राजकीय औषधि प्रयोगशाला अभी हरिद्वार में स्थापित है। सात प्राइवेट ड्रग टेस्टिंग लैब राज्य द्व ारा अनुमोदित हैं दिन में टेस्टिंग एवं रिसर्च की सुविधा स्थापित हैं जिनका एन.ए. बी.एल. प्रमाणीकरण भी किया गया है। हर जिले में आयुष वेलनेस क्लस्टर भी स्थापित करने योजना है, हर्बल मंडी, हर्बल जन औषधि केंद्र आदि स्थापित करने के लिए भी विभाग प्रयासरत है। आयुष के जरिए ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सुधार और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दें। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में हम इस लक्ष्य को शीघ्र ही पूरा करेंगे। उत्तराखंड में आयुष विभाग के बदलाव और विकास के पीछे सचिव दीपेंद्र चौधरी की दूरदर्शिता और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सक्रिय नेतृत्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उनके प्रयास न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार ला रहे हैं, बल्कि राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी एक नया अध्याय लिख रहे है।

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