गुजरात में कैबिनेट की सफाई से उत्तराखंड में भी बढ़ी “बेचैनी”

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दीपावली से पहले गुजरात में भाजपा हाईकमान ने अचानक मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सरकार के सभी मंत्रियों की अचानक सफाई कर दी। भाजपा ने महज तीन साल में सीएम के अलावा पूरी सरकार को बदल दिया है। पार्टी ने भूपेंद्र पटेल के सभी 16 मंत्रियों से इस्तीफा देने को कहा, ताकि नया मंत्रिमंडल बनाने के लिए पूरी आजादी मिले। यह फेरबदल भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें नए चेहरों को मौका देकर पार्टी की छवि को ताजगी दी जा रही है। इससे आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की उम्मीद है। पार्टी हाईकमान के इस बड़े कैबिनेट फेरबदल ने उत्तराखंड में भी सियासी हलचल बढ़ा दी है। 2027 के फरवरी-मार्च में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं और हाईकमान के इस कदम ने राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक समीकरणों पर अटकलों को हवा दे दी है। लंबे समय से उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन अब माना जा रहा है कि अगले महीने नवंबर तक नए और युवा चेहरों को शामिल कर मंत्रियों की टीम का नया स्वरूप पेश किया जा सकता है। भाजपा हाईकमान साल 2021 में भी गुजरात में इसी तरह अचानक सभी मंत्रियों को हटा चुकी है और फिर नए मंत्रियों के साथ पूरी कैबिनेट का नवीनीकरण किया गया था। अब उसी मॉडल के असर को उत्तराखंड में भी देखा जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव से पहले भाजपा अपनी रणनीति को सुदृढ़ करने और नए नेताओं को आगे लाने के लिए जरूरी फेरबदल कर सकती है। शंभू नाथ गौतम

गुजरात में भाजपा हाईकमान ने दीपावली से पहले गुरुवार, 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर राज्य के सभी मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया । यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत उठाया गया है। भाजपा ने महज तीन साल में सीएम के अलावा पूरी सरकार को बदल दिया है। पार्टी ने भूपेंद्र पटेल के सभी 16 मंत्रियों से इस्तीफा देने को कहा, ताकि नया मंत्रिमंडल बनाने के लिए पूरी आजादी मिले। यह फेरबदल भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें नए चेहरों को मौका देकर पार्टी की छवि को ताजगी दी जा रही है। इससे आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की उम्मीद है। शुक्रवार को नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। जिसमें हर्ष संघवी को उपमुख्यमंत्री पद पर पदोन्नति दी गई है। इस फेरबदल में अर्जुन मोढवाडिया और रिवाबा जडेजा जैसे प्रमुख नेताओं को भी जगह दी गई है। इस घटनाक्रम ने उत्तराखंड में भी सियासी हलचल बढ़ा दी है। राज्य में अगले विधानसभा चुनाव 2027 में फरवरी-मार्च में होने हैं। उत्तराखंड में भी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा हाईकमान गुजरात के मॉडल को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में भी मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकता है। इससे पहले, 2021 में भी भाजपा हाईकमान ने गुजरात में सभी मंत्रियों को हटाकर नई टीम बनाई थी। उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना को देखते हुए नवंबर में कैबिनेट विस्तार की अटकलें लगाई जा रही हैं। राज्य में लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार की मांग उठ रही थी, लेकिन अब भाजपा हाईकमान के गुजरात में किए गए फेरबदल ने उत्तराखंड में भी बदलाव की आहट को तेज कर दिया है। गुजरात में हुए इस बड़े फेरबदल ने उत्तराखंड की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। आलाकमान के इस कदम को आगामी चुनावों की तैयारियों के तहत देखा जा रहा है, और उत्तराखंड में भी पार्टी अपनी रणनीति पर विचार कर रही है। वहीं उत्तराखंड में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं। राज्य मंत्रिमंडल में कुल 12 मंत्री पदों की स्वीकृति है, लेकिन वर्तमान में केवल 6 मंत्री ही कार्यरत हैं। इससे स्पष्ट है कि 5 मंत्री पद खाली हैं, जिनमें से 4 लंबे समय से और एक पूर्व संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद खाली हुआ है। राज्य मंत्रिमंडल में खाली पड़े 5 मंत्री पदों में से चार पद लंबे समय से रिक्त हैं, जबकि एक पद प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद खाली हुआ है। कैबिनेट विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए भाजपा के कई विधायक मंत्री बनने की दौड़ में हैं। हालांकि नामों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कुछ युवा विधायकों के मंत्री बनने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली पर हैं । जहां वे केंद्रीय नेतृत्व से कैबिनेट विस्तार पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, नवंबर में विशेष विधानसभा सत्र के दौरान कैबिनेट विस्तार की संभावना जताई जा रही है। उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद, राज्य में नए चेहरों को मंत्री पद पर नियुक्त किया जा सकता है। इससे भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों में भी मदद मिल सकती है। वहीं उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कि पहले निकाय चुनाव, फिर पंचायत चुनाव, उपचुनाव और आपदा के कारण कैबिनेट विस्तार की घोषणा नहीं हो पाई थी। प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक कैबिनेट विस्तार का इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है। उन्होंने कहा कि जल्द ही कैबिनेट में पांच नए सदस्य शामिल होने वाले हैं। इधर, चर्चा है कि प्रोग्रेस रिपोर्ट के आधार पर मौजूदा दो मंत्रियों को धामी कैबिनेट से बाहर भी किया जा सकता है। कुछ दिग्गज विधायकों को कैबिनेट में स्थान मिल सकता है।

पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति से गुजरात की राजनीति में हलचल

गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 16 अक्टूबर 2025 को एक ऐतिहासिक कदम उठाया। राज्य मंत्रिमंडल के सभी 16 मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया, जिससे राज्य की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा किया गया। इस फेरबदल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के प्रमुख स्तंभ हैं। यह मंत्रिमंडल फेरबदल आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों के तहत किया गया है। पार्टी नेतृत्व ने महसूस किया कि पुराने मंत्रियों की कार्यशैली में नयापन की कमी थी और जनता में असंतोष बढ़ रहा था। इसलिए, नए चेहरों को मौका देने का निर्णय लिया गया। नए मंत्रियों के चयन में क्षेत्रीय संतुलन, जातीय प्रतिनिधित्व और युवा नेतृत्व को प्राथमिकता दी गई है। नए मंत्रियों के चयन में क्षेत्रीय संतुलन, जातीय प्रतिनिधित्व और युवा नेतृत्व को प्राथमिकता दी गई है। इससे भाजपा की चुनावी रणनीति को मजबूती मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गुजरात से गहरा संबंध है। अमित शाह का गृह राज्य होने के नाते, वे राज्य की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं। यह मंत्रिमंडल फेरबदल उनके मार्गदर्शन में किया गया, जो राज्य की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए आवश्यक था। उनकी यह पहल भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व की सक्रियता और दूरदर्शिता को दर्शाती है। गुजरात में हुए इस मंत्रिमंडल फेरबदल से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व राज्य की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल है और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक निर्णय ले रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की यह पहल भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व की सक्रियता और दूरदर्शिता को दर्शाती है। राज्य में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार में 25 विधायकों को मंत्री बनाया गया

गुजरात में शुक्रवार, 17 अक्टूबर को बीजेपी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अगुवाई वाली सरकार के मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल किया । सभी मंत्रियों की छुट्टी करते हुए पार्टी ने पूर्व गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी को नया डिप्टी सीएम बनाया है। भूपेंद्र पटेल सरकार में कुल 25 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। इनमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और डिप्टी सीएम हर्ष संघवी के अलावा आठ कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इनमें तीन मंत्रियों के इस्तीफे नामंजूर होने के कारण उन्होंने शपथ नहीं ली। इनमें ऋषिकेश पटेल, कनुभाई देसाई और कुंवरजी बावलिया का नाम शामिल हैं। पांच नए कैबिनेट मंत्री शामिल किए गए। इसके साथ तीन मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। इसके अलावा 12 को राज्य मंत्री बनाया गया है।क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को मंत्री पद पर नियुक्त किया गया है। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अर्जुन मोढवाडिया को भी मंत्री बनाया गया है। गुरुवार को एक बड़े घटनामक्रम में सभी 16 मंत्रियों ने अपने इस्तीफ सीएम भूपेंद्र पटेल को सौंप दिए थे। इसमें तीन मंत्रियों का इस्तीफा मुख्यमंत्री ने नामंजूर किया। भूपेंद्र पटेल मंत्रिमंडल विस्तार-फेरबदल में कच्छ सौराष्ट्र का दबदबा बढ़ा है। 25 में नौ मंत्री इस क्षेत्र हैं। यह मंत्रिमंडल विस्तार भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी गई है। नए मंत्रियों में सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र से 9, ओबीसी समुदाय से 8, पटेल समुदाय से 6, आदिवासी समुदाय से 4, अनुसूचित जाति से 3, क्षत्रिय से 2 और ब्राह्मण और जैन समुदाय से एक-एक मंत्री शामिल हैं। गुजरात में हुए इस मंत्रिमंडल विस्तार से भाजपा ने अपनी प्रशासनिक टीम को सशक्त बनाने और आगामी चुनावों के लिए रणनीतिक रूप से तैयार होने का संकेत दिया है। नए मंत्रियों के चयन में क्षेत्रीय संतुलन, सामाजिक प्रतिनिधित्व और पार्टी के प्रति वफादारी को ध्यान में रखा गया है। अब देखना यह होगा कि यह बदलाव राज्य की राजनीति और प्रशासन में किस प्रकार के प्रभाव डालते हैं। गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं। नियम के मुताबिक कुल सीटों के 15% तक मंत्री हो सकते हैं। इस हिसाब से गुजरात में मुख्यमंत्री के साथ 26 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इससे ज्यादा नेताओं को सरकार में शामिल किया जा सकता है।

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