कूटनीति में नया मोड़, अब मोदी-जिनपिंग की दोस्ती का दौर

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कुछ समय पहले तक यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि भारत और चीन कूटनीति की राह पर इतने करीब आ सकते हैं। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने समीकरण बदल दिए हैं। एक ओर भारत इन टैरिफ की चोट महसूस कर रहा है, तो दूसरी ओर चीन पहले से ही अमेरिका की नीतियों से नाराज है। ऐसे में दोनों एशियाई दिग्गजों का एक-दूसरे के करीब आना स्वाभाविक माना जा रहा है। यही कारण है कि अमेरिकी दबाव के बीच अब एशियाई कूटनीति में नया मोड़ आया है। इसी कड़ी में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर रिश्तों को और मजबूत करने की इच्छा जताई है, जो आने वाले समय में भारत-चीन संबंधों में ‘नए दौर’ की शुरुआत का संकेत माना जा रहा है। दिव्य हिमगिरि की रिपोर्ट

कुछ दिनों पहले तक कोई नहीं सोच सकता था कि भारत और चीन नजदीक आ जाएंगे। यह सब हुआ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ की वजह से। चीन भी अमेरिका से नाराज बैठा हुआ है। ऐसे में भारत और चीन की दोस्ती अमेरिका को जरूर परेशान कर सकती है। दुनिया के नक्शे पर चीन भी पावरफुल देश है। अमेरिकी टैरिफ जंग के बीच एशियाई कूटनीति ने नया मोड़ ले लिया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक अहम पत्र लिखकर दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करने की इच्छा जताई है। इस पत्र में शी ने अमेरिकी नीतियों और व्यापार समझौतों पर चिंता जताई है और भारत के साथ सहयोग को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। ब्लूमबर्ग ने इस पूरे मामले से परिचित एक भारतीय अधिकारी के हवाले से बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक पत्र लिखा था। इस सीक्रेट पत्र के माध्यम से उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंध को और बेहतर बनाने की इच्छा व्यक्त की। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने किसी भी ऐसे अमेरिकी समझौते पर चिंता व्यक्त की थी, जो चीन के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इस पत्र को पीएम मोदी के पास भी पहुंचाया गया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की शुरुआत हुई थी, तभी से बीजिंग भारत के साथ रिश्तों में नई गर्माहट लाने की कोशिश कर रहा है। अब इस कूटनीतिक संदेश के बाद भारत-चीन संबंधों में नई संभावनाएं दिखाई देने लगी हैं।कूटनीति में नया मोड़ साफ दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे टैरिफ और व्यापारिक दबावों के बीच भारत और चीन एक-दूसरे के करीब आते नजर आ रहे हैं। जापान दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन पहुंच चुके हैं। जहां वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि यह बैठक केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि एशिया की राजनीति और वैश्विक व्यापार समीकरणों पर भी असर डालेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और चीन आर्थिक मोर्चे पर साझा कदम उठाते हैं तो अमेरिकी दबाव का संतुलन संभव हो सकेगा। यही कारण है कि वॉशिंगटन इन घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखे हुए है। अमेरिकी टैरिफ जंग के बीच चीन की ओर से भारत को दोस्ती का संदेश भेजा गया है, लेकिन भारत को यह भी याद रखना होगा चीन कभी भी भरोसे का नहीं रहा है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और लद्दाख में तनातनी ने रिश्तों को काफी प्रभावित किया है। ऐसे में शी जिनपिंग का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिखा पत्र और प्रधानमंत्री मोदी की आगामी चीन यात्रा, दोनों देशों के बीच भरोसे को बहाल करने की दिशा में एक संकेत माना जा रहा है। बीजिंग इस समय अमेरिका के दबाव में है और भारत को संभावित साझेदार के रूप में देख रहा है। वहीं भारत, जापान और अन्य एशियाई देशों के साथ मिलकर एक संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। यही कारण है कि पीएम मोदी पहले जापान और फिर चीन का दौरा कर रहे हैं। पीएम मोदी की यह यात्रा केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं होगी, बल्कि इसमें व्यापार, सुरक्षा और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग पर ठोस बातचीत हो सकती है। हालांकि, भारत यह भी सुनिश्चित करेगा कि चीन से बढ़ती निकटता उसकी अमेरिका और यूरोप के साथ साझेदारी को प्रभावित न करे।

पीएम मोदी और जापानी प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने पर जताई सहमति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 और 30 अगस्त को जापान दौरे पर रहे। जहां उनका जोर निवेश और व्यापारिक साझेदारी को नए स्तर पर ले जाने पर है। टोक्यो में हुई बैठक में पीएम मोदी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने पर सहमति जताई। दोनों नेताओं ने विशेष रूप से टेक्नोलॉजी, डिजिटल इनोवेशन, हरित ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने पर चर्चा की। भारत में चल रहे विभिन्न मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट्स में जापान की सक्रिय भागीदारी पर भी जोर दिया गया। बैठक में अहम मुद्दा मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर यानी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भी रहा। दोनों नेताओं ने ट्रेन में सफर भी किया। इस दौरान उन्होंने भारत के ट्रेन ड्राइवरों से मुलाकात भी की। इन्हें जापान का ईस्टर्न रेलवे ट्रेनिंग दे रहा है। ये भारत में चलने वाली बुलेट ट्रेनों को चलाएंगे। सेंडाई पहुंचने पर स्थानीय लोगों और भारतीय समुदाय ने उनका स्वागत किया। लोग हाथों में झंडे लेकर ‘जापान में आपका स्वागत है, मोदी सैन!’ के नारे लगा रहे थे। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और इसके समय पर पूरा होने के लिए सभी स्तरों पर सहयोग बढ़ाने का आश्वासन दिया। जापान ने इस प्रोजेक्ट के लिए तकनीकी और वित्तीय सहयोग को और गति देने की बात कही, वहीं भारत ने इसे 21वीं सदी की साझेदारी का प्रतीक बताया। इसके अलावा दोनों देशों ने आपसी व्यापार को 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा और निवेश माहौल को और सुगम बनाने पर सहमति जताई। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर भी चर्चा हुई, जिसमें समुद्री मार्गों की सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने पर दोनों पक्षों ने समान दृष्टिकोण व्यक्त किया। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि लोगों को फायदा पहुंचाने वाले नतीजों के लिए ये दौरा याद रखा जाएगा। उन्होंने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए जापान की जनता और प्रधानमंत्री इशिबा का धन्यवाद दिया।

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