Wednesday, November 5, 2025
Homeराष्ट्रीयएनडीए ने रचा इतिहास, पहली बार 17 महिला कैडेट्स हुईं पास आउट

नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़कवासला ने नया कीर्तिमान बनाया। शुक्रवार, 30 मई को एनडीए की 148वीं पासिंग आउट परेड में 17 महिला कैडेट्स का पहला बैच पास हुआ। इनके साथ 300 पुरुष कैडेट्स ने भी पास आउट किया। ये सभी महिला कैडेट्स अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा के लिए शौर्य का प्रदर्शन करने को तैयार हैं। सभी इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन करेंगी। परेड में कैडेट्स के माता-पिता, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और स्पेशल गेस्ट्स शामिल हुए । जनरल वी के सिंह ने परेड को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार इस ग्राउंड से लड़कियों का बैच भी पास हुआ है। ये नारी शक्ति को सलाम है। उन्‍होंने कहा कि ये लड़कियों के लिए ट्रेनिंग का अंत नहीं है, बल्कि नई संभावनाओं की शुरुआत है। एनडीए के कमांडेंट वाइस एडमिरल गुरचरण सिंह ने महिला कैडेट्स की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, ‘महिला कैडेट्स ने एक मिसाल कायम की है।

महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़कवासला ने नया कीर्तिमान बनाया। शुक्रवार, 30 मई को नेशनल डिफेंस एकेडमी की 148वीं पासिंग आउट परेड में 17 महिला कैडेट्स का पहला बैच पास हुआ। इनके साथ 300 पुरुष कैडेट्स ने भी पास आउट किया। ये सभी महिला कैडेट्स अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा के लिए शौर्य का प्रदर्शन करने को तैयार हैं। यह इतिहास में पहला मौका है, जब 300 पुरुष कैडेट्स के साथ 17 महिला कैडेट्स भी ग्रेजुएट हुई हैं। पासिंग आउट परेड पुणे के खडकवासला स्थित एनडीए परिसर में हुई। रिटायर्ड सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने परेड की सलामी ली। इस मौके पर सेवानिवृत्त जनरल वीके सिंह ने सभी कैडेट्स को प्रशस्ति पत्र दिए। बता दें कि एनडीए के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है। सभी 17 महिलाएं इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन करेंगी। परेड में कैडेट्स के माता-पिता, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और स्पेशल गेस्ट्स शामिल हुए । जनरल वी के सिंह ने परेड को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार इस ग्राउंड से लड़कियों का बैच भी पास हुआ है। ये नारी शक्ति को सलाम है। उन्‍होंने कहा कि ये लड़कियों के लिए ट्रेनिंग का अंत नहीं है, बल्कि नई संभावनाओं की शुरुआत है। एनडीए के कमांडेंट वाइस एडमिरल गुरचरण सिंह ने महिला कैडेट्स की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, ‘महिला कैडेट्स ने एक मिसाल कायम की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सियाचिन की ऊंचाइयों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक, भारतीय महिलाएं हर जिम्मेदारी निभा रही हैं। इन 17 बेटियों ने साबित कर दिया कि वे न सिर्फ देश की रक्षा करेंगी, बल्कि भविष्य में नेतृत्व भी करेंगी। इन 17 बेटियों में डिवीजन कैडेट कैप्टन श्रीति दक्ष ने आर्ट्स स्ट्रीम में पहला स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया। श्रीति के पिता, विंग कमांडर (रिटायर्ड) योगेश कुमार दक्ष, जो अब एक प्राइवेट एयरलाइन में हेलिकॉप्टर पायलट हैं, ने गर्व से कहा, जब श्रीति ने कहा कि वह मेरे हंटर स्क्वाड्रन में जाएगी, मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इस स्क्वाड्रन की शारीरिक ट्रेनिंग बहुत कठिन है, लेकिन उसने हर चुनौती को पार किया और मुझसे ज्यादा सम्मान अर्जित किया। साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने महिलाओं को एनडीए में प्रवेश की अनुमति दी थी। इसके बाद महिलाओं का पहला बैच 2022 में एनडीए में शामिल हुआ था। अब, दो साल की कठिन ट्रेनिंग पूरी कर ये 17 महिला कैडेट्स देश के तीनों रक्षा अंगों, थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अधिकारी बनने के लिए तैयार हैं। हालांकि भारत की तीनों सेनाओं में पुरुषों की संख्या के मुकाबले महिलाओं का अनुपात अभी भी बहुत कम है। भारतीय सेना में लगभग 12 लाख पुरुषों के मुकाबले 7 हजार महिलाएं हैं। नेवी में महिलाओं का प्रतिशत करीब 6.5 है, जो अन्य दो सेनाओं की तुलना में अधिक है।

नए भारत में महिला अधिकारी अब फ्रंटलाइन ऑपरेशन्स में ले रहीं भाग–

उल्लेखनीय है कि हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह संदेश दिया कि भारतीय नारी सम्मान और सुरक्षा के लिए हर स्तर पर सक्रिय है। एक तरफ सिंदूर उजाड़ने वालों को सजा दी गई तो कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाकर भारत की मातृशक्ति का अहसास कराया। यह केवल सैन्य ताकत नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता और नारी गरिमा का भी प्रतीक है। भारतीय सेना का यह नया स्वरूप एक ओर मातृशक्ति के सम्मान को दर्शाता है तो दूसरी ओर यह भी बताता है कि महिला अधिकारी अब निर्णायक भूमिकाओं में भी पीछे नहीं हैं। आज भारत की सेना में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ बढ़ ही नहीं रही बल्कि एक प्रेरणा बन रही है। नए भारत में महिला अधिकारी अब फ्रंटलाइन ऑपरेशन्स में भाग ले रही हैं और लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। एनडीए से ग्रेजुएट हो रही ये 17 कैडेट्स भी उस बदलाव का नेतृत्व करेंगी जो भारतीय सेना को और समावेशी और आधुनिक बनाएगा। भारत एक ऐसा देश है जहां नारी को सदा से ‘शक्ति’ का रूप माना गया है। यहां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती जैसे देवी स्वरूपों की पूजा होती है। नए भारत में पूजन केवल प्रतीकात्मक नहीं रह गया है बल्कि इसका साक्षात रूप देश की सेनाओं, वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, न्यायालयों और संसद में दिख रहा है। ऐसे में एनडीए की इन पहली महिला कैडेट्स का पासआउट होना एक युगांतकारी घटना है। यह निर्णय, यह दृश्य और यह सफलता तीनों ही नए भारत के निर्माण की कहानी कहते हैं। एक ऐसा भारत जो नारी को केवल आराधना का विषय नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण का भागीदार भी मानता है। ये 17 महिला कैडेट्स ना केवल अपने परिवार और समाज के लिए प्रेरणा हैं बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों की दिशा भी तय करेंगी।

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