सिंगर जुबीन गर्ग का दुखद अंत

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भारतीय संगीत का एक चमकता सितारा चला गया। संगीत प्रेमियों के लिए शुक्रवार को एक बहुत ही दुखद खबर सामने आई । असम और पूरे देश में अपनी मनमोहक आवाज से दिलों को छूने वाले महान गायक जुबिन गर्ग का 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में एक स्कूबा डाइविंग हादसे में निधन हो गया। वे 52 वर्ष के थे और उनकी अचानक मौत ने संगीत जगत को गहरे शोक में डाल दिया। जुबीन गर्ग ने बॉलीवुड में अपनी पहचान 2006 में फिल्म ‘गैंगस्टर’ के गीत ‘या अली’ से बनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं और बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियों ने जुबीन के निधन पर शोक श्रद्धांजलि दी। दिव्य हिमगिरि रिपोर्ट

भारतीय संगीत जगत एक बड़े स्तंभ को खो बैठा । असम और पूरे देश में अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज से लोगों के दिलों में अपनी खास पहचान बनाने वाले फेमस गायक जुबिन गर्ग का 19 सितंबर को सिंगापुर में एक स्कूबा डाइविंग हादसे में निधन हो गया। वे 52 वर्ष के थे। उनके अचानक और दुखद निधन ने संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ा दी है। जुबीन गर्ग ने बॉलीवुड में अपनी पहचान 2006 में फिल्म ‘गैंगस्टर’ के गीत ‘या अली’ से बनाई। इसके बाद उन्होंने ‘बिन तेरे’, ‘जिया रे’, ‘दिल तू ही बता’, ‘सुबह-सुबह’ जैसे कई हिट गाने दिए। उनकी आवाज़ ने उन्हें न केवल एक गायक, बल्कि एक सांस्कृतिक आइकन बना दिया। गर्ग का जन्म 18 नवंबर 1972 को मेघालय के तुरा में हुआ था। जुबीन के पिता मोहिनी मोहन गर्ग कवि और लेखक थे जबकि मां आईलीन गर्ग शास्त्रीय नृत्यांगना थीं, इसी कारण जुबीन का बचपन से ही कला और संगीत से गहरा नाता रहा। उन्होंने बहुत छोटी उम्र में तबला और हारमोनियम सीखना शुरू कर दिया था और बाद में उन्होंने असमिया गीतों से अपने करियर की शुरुआत की। धीरे-धीरे वे हिंदी, बांग्ला, तमिल और तेलुगु जैसी कई भाषाओं में गाने लगे। उन्होंने हिंदी, असमिया, बांग्ला, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु और अन्य भाषाओं में 40 से अधिक भाषाओं में गाने गाए। उनकी आवाज में एक विशेष जादू था, जो सुनने वाले के दिल को छू जाता था और उन्हें हर पीढ़ी के संगीत प्रेमियों के लिए यादगार बना देता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “जुबिन गर्ग की आवाज़ ने भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।” असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें असम का “प्रिय बेटा” बताते हुए श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन्हें एक ऐसी आवाज़ बताया जिसने एक पीढ़ी को परिभाषित किया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें “प्रिय भाई” बताते हुए कहा कि उनकी आवाज और संगीत हमेशा याद रखे जाएंगे। गर्ग का निधन न केवल असम बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी आवाज़ ने न केवल संगीत प्रेमियों को, बल्कि हर उस व्यक्ति को जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहा था, सांत्वना दी। उनकी आवाज में एक विशेष शक्ति थी, जो दिलों को जोड़ती थी और आत्मा को शांति प्रदान करती थी। उनकी यादें और उनका संगीत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा। जुबिन गर्ग का योगदान भारतीय संगीत जगत में हमेशा अमिट रहेगा।

रोमांस के साथ जोखिम भरा भी है “स्कूबा डाइविंग”

प्रसिद्ध गायक जुबीन गर्ग का शुक्रवार को सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान निधन हो गया। 52 वर्षीय जुबीन “नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल” में हिस्सा लेने सिंगापुर पहुंचे थे और इसी दौरान उन्होंने समुद्र में स्कूबा डाइविंग की। जानकारी के अनुसार डाइविंग के दौरान अचानक उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। तुरंत गोताखोर टीम ने उन्हें बाहर निकाला और अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। स्कूबा डाइविंग दरअसल एक एडवेंचर स्पोर्ट है जिसमें गोताखोर पानी के भीतर सांस लेने के लिए एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल करता है। गोताखोर अपनी पीठ पर एयर टैंक लेकर चलता है, जो उसे पानी के भीतर सांस लेने की सुविधा देता है। इस प्रक्रिया के लिए मास्क, फिन्स और रेगुलेटर जैसे उपकरण भी लगाए जाते हैं। स्कूबा डाइविंग रोमांचक जरूर है लेकिन इसमें जोखिम भी बहुत हैं। पानी की गहराई के साथ दबाव बढ़ जाता है और अचानक ऊपर आने पर “डेिकम्प्रेशन सिकनेस” हो सकती है। इसके अलावा उपकरण की खराबी, ऑक्सीजन की कमी, या किसी व्यक्ति की पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्या भी डाइविंग के दौरान घातक साबित हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार अस्थमा, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी या हाल ही में हुई सर्जरी वाले लोगों को स्कूबा डाइविंग से बचना चाहिए। सही प्रशिक्षण, गाइड की मौजूदगी और सुरक्षा नियमों का पालन बेहद जरूरी होता है। जुबीन गर्ग की मौत की सटीक वजह अब तक साफ नहीं हो पाई है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट्स में इसे सांस लेने में आई दिक्कत से जुड़ा बताया गया है। जुबीन गर्ग असमिया और हिंदी फिल्मों में अपने गानों के लिए बेहद लोकप्रिय रहे। उनके अचानक निधन से पूरे संगीत जगत और प्रशंसकों में शोक की लहर है। गायक होने के साथ-साथ वे संगीतकार, अभिनेता और फिल्म निर्देशक भी रहे। उनके अचानक चले जाने से संगीत जगत और उनके चाहने वालों को गहरा सदमा पहुंचा है। असम से लेकर पूरे देश तक उनके गानों की गूंज रही और वे हमेशा अपने गीतों और संगीत से याद किए जाएंगे।

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