गरीबो के आशियाने व्यवसाय पर अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर लेकर तुरंत कार्यवाही के लिए पहुँचने वाला प्रशासन का बुलडोजर पर अब कहां ब्रेक लग गया है?: यशपाल आर्य

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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि पौड़ी जिले की पौड़ी कोतवाली क्षेत्र के तलसारी गांव के युवा जितेंद्र कुमार ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर भाजपा युवा मोर्चे के नेता हिमांशु चमोली पर उनसे पैसे ठगने का आरोप लगाया था। सुसाइड करने वाले पौड़ी के जितेंद्र के परिजन भी खुद की जान को भाजपा नेता हिमांशु चमोली से खतरा बता रहे है।
श्री आर्य ने कहा कि आत्महत्या से पहले जारी किए गए वीडियो में जितेंद्र ने स्पष्ट कहा की हिमांशु चमोली ने जमीन विवाद सुलझाने के नाम पर 35 लाख रुपये लिए। केदारनाथ यात्रा में भी 7 लाख रुपये खर्च करवाए। हिमांशु, उसकी पत्नी और भाई को मोबाइल फोन जितेंद्र ने अपने पैसे से दिलाए थे ।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गरीबो के आशियाने व्यवसाय पर अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर लेकर तुरंत कार्यवाही के लिए पहुँचने वाला प्रशासन का बुलडोजर पर अब कहां ब्रेक लग गया है ? उत्तराखंड पुलिस ने अपनी छवि ऐसे बना ली है कि उत्तराखंड की जनता का भरोसा उन पर से पूर्ण रूप से उठ चुका है ।
उन्होंने कहा कि सरकार से विधानसभा सत्र में नियम 310 के अंतर्गत कानून व्यवस्था पर चर्चा कि माँग करो तो उल्टा विपक्ष पर दोषारोपण किया जाता है कि, विपक्ष राम राज्य स्थापित कर रही सरकार पर दोषारोपण कर रही है । क्या यही राम राज्य है ? सरकार के लोग दो दिन पहले विपक्ष पर मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के आरोप लगा रहे थे लेकिन जितेंद्र की हत्या से सत्य सामने आ गया है। हिमांशु जैसे अपराधिक तत्वों को सरकार और भाजपा नेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त है।
श्री आर्य ने कहा कि जितेंद्र की मौत सिर्फ एक आत्महत्या नहीं बल्कि ये भाजपा की तानाशाही, सत्ता के बल पर वसूली और दबंग राजनीति का जीवित सुबूत है। सवाल यह है कि हम किस तरह का उत्तराखंड बना रहे हैं, जहाँ युवा जान दे रहे हैं ? हिमांशु चमोली, भाजपा के बड़े नेताओं जैसे जेपी नड्डा, कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नजदीक हैं।
श्री आर्य ने कहा कि हम पूछना चाहते हैं कि क्या उत्तराखंड पुलिस सच में जितेंद्र और उसके परिवार को न्याय देगी या पंचायत चुनाव की तरह गुंडों की ढाल बनी रहेगी ? या अंकिता भंडारी की तरह टप्च् का नाम छुपाने के लिए पूरी सरकार और सरकारी तंत्र को झोंक देगी?
श्री आर्य ने कहा कि ऐसे रिश्तों के कारण यह संदेह स्वाभाविक है कि परिवार को न्याय मिल सकेगा या नहीं ?

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