उत्तराखंड की धामी सरकार के चलाए गए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति बन गया है। सरकार की इस पहल ने न केवल फर्जी बाबाओं की दुकानों पर ताले लगाए, बल्कि आस्था के नाम पर चल रही ठगी, शोषण और अंधविश्वास की जड़ों पर भी करारा प्रहार किया। गांव-गांव में अब झाड़-फूंक की जगह तर्क की आवाज सुनाई देने लगी है। महिलाएं खुलकर कह रही हैं, ‘अब नहीं डरेंगे’, और युवा वर्ग विज्ञान और विवेक की राह पर आगे बढ़ रहा है। यह केवल कानून की कार्रवाई नहीं थी, यह चेतना की वह मशाल थी जिसने उत्तराखंड को जागरूकता का नया मंत्र दे दिया ऑपरेशन कालनेमि । मुख्यमंत्री धामी के चलाए गए इस ऑपरेशन कालनेमि को सोशल मीडिया पर जमकर सराहा गया। उत्तराखंड की पुण्यभूमि पर किसी भी प्रकार का ढोंग, छल या धार्मिक आवरण में छिपा अपराध सहन नहीं किया जाएगा। धार्मिक चोला पहन कर आम लोगों को ठगने वाले फर्जी बाबाओं और ढोंगियों के खिलाफ चलाए जा रहे इस विशेष अभियान को सोशल मीडिया साइट एक्स पर #OperationKaalnemi पर व्यापक समर्थन मिला। यह ट्रेंड कई घंटों तक टॉप में बना रहा। शंभू नाथ गौतम।
इसी महीने 10 जुलाई गुरु पूर्णिमा को उत्तराखंड की धामी सरकार ने प्रदेश में “ऑपरेशन कालनेमि” चलाकर अभी तक 100 से अधिक पाखंडी बाबाओं को सलाखों के पीछे भेजा है। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री धामी के चलाए गए इस ऑपरेशन कालनेमि को जमकर सराहा गया। उत्तराखण्ड की पुण्यभूमि पर किसी भी प्रकार का ढोंग, छल या धार्मिक आवरण में छिपा अपराध सहन नहीं किया जाएगा। धार्मिक चोला पहन कर आम लोगों को ठगने वाले फर्जी बाबाओं और ढोंगियों के खिलाफ चलाए जा रहे इस विशेष अभियान को सोशल मीडिया साइट एक्स पर #OperationKaalnemi पर व्यापक समर्थन मिला। यह ट्रेंड कई घंटों तक टॉप में बना रहा। लोगों ने सोशल मीडिया पर सीएम धामी की निडरता और त्वरित कार्रवाई की जमकर सराहना की। कई यूजर्स ने उन्हें “सनातन धर्म का प्रहरी”, “धर्म और श्रद्धा का रक्षक” तक कह डाला। वहीं, कई राज्यों के लोगों ने भी इस तरह की कार्यवाही की अपने राज्यों में भी मांग की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस ऑपरेशन ने देश के जनमानस में गहरी छाप छोड़ी है। सोमवार को जैसे ही यह ट्रेंड शुरू हुआ, घंटों तक #OperationKaalnemi टॉप ट्रेंडिंग में बना रहा। ये दर्शाता है कि अब जनता सिर्फ आस्था के नाम पर दिखावे से नहीं, वास्तविक धर्म और संस्कारों की रक्षा चाहती है, और मुख्यमंत्री धामी इस दिशा में एक आदर्श नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरे हैं। इससे पहले भी सीएम धामी धर्म और सनातन की रक्षा के लिए थूक, लव, लैंड जिहाद पर कार्रवाई के साथ ही धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई कर चुके हैं। जिससे पूरे देश में उनकी धर्मरक्षक की छवि बनकर ऊभरी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विशेष अभियान की शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्य था, उत्तराखंड में सक्रिय ऐसे लोगों की पहचान और गिरफ्तारी होगी जो साधु-संत का भेष धारण कर धार्मिक स्थलों पर ठगी या अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त हैं।
धामी सरकार की अंधविश्वास के अंधेरे में रोशनी की एक किरण बना ऑपरेशन कालनेमि
उत्तराखंड की धामी सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का उद्देश्य सिर्फ फर्जी बाबाओं का पर्दाफाश करना नहीं था, बल्कि समाज में तेजी से फैलते अंधविश्वास, ढोंग और धार्मिक ठगी के उस गहरे जाल को काटना भी था जिसमें मासूम लोग फंसते चले जा रहे थे। जब सरकार ने इस ऑपरेशन की शुरुआत की, तो शुरुआत में इसे राजनीतिक स्टंट तक कहा गया। लेकिन जैसे-जैसे पाखंडी बाबाओं की लिस्ट सामने आती गई और उनपर सख्त एक्शन लिए गए, आम लोगों का भरोसा और समर्थन बढ़ता गया। पहाड़ों में बसे भोले-भाले ग्रामीणों को जब यह पता चला कि अब उनके विश्वास का शोषण करने वालों पर कानून की नजर है, तो उन्होंने भी खुलकर समर्थन देना शुरू किया। टिहरी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और पिथौरागढ़ जैसे दूरस्थ इलाकों से ऐसी खबरें सामने आने लगीं कि लोग अब इन फर्जी बाबाओं की शिकायतें सीधे प्रशासन को कर रहे हैं। कहीं एक बाबा की गुफा से करोड़ों का चढ़ावा बरामद हुआ, तो कहीं किसी बाबा के डेरे से नशीली दवाएं और हथियार तक मिले। सबसे ज्यादा असर उन महिलाओं पर पड़ा जो अब तक झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र के नाम पर ठगी और शोषण सह रही थीं। ऑपरेशन कालनेमि के बाद वे अब खुलकर बोल रही हैं, अपनी आवाज प्रशासन तक पहुंचा रही हैं। इस ऑपरेशन के बाद युवाओं में जागरूकता की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर #OperationKaalnemi ट्रेंड करता रहा और कई छात्रों-नौजवानों ने फर्जी बाबाओं के खिलाफ अभियान चलाना शुरू कर दिया। ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ कानून का कदम नहीं था, यह सामाजिक चेतना का बिगुल था। यही कारण है कि इसे सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सुधार आंदोलन माना जा रहा है। उत्तराखंड की यह पहल अब एक मॉडल बन रही है, जिसे देश के अन्य राज्य भी अपनाने की सोचने लगे हैं।






