Thursday, November 6, 2025
Homeराष्ट्रीयवक्फ बोर्ड की संपत्तियों के दावे का होगा सत्यापन

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्राी किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश किया। विपक्ष ने किया हंगामा, कांग्रेस-सपा ने जताई नाराजगी, जेडीयू, टीडीपी और लोजपा का केंद्र को मिला साथ। वक्फ बोर्ड सशस्त्रा बलों और भारतीय रेलवे के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी है। इस बिल के सदन में पेश होते ही देश की सबसे बड़ी और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड एक बार पिफर से चर्चा में है। 40 प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार वक्फ बोर्डों द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा। सरकार के इस कदम का मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने विरोध किया है और कहा है कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मोदी सरकार ने आठ अगस्त को लोकसभा में वक्पफ संशोधन बिल पेश किया। इस बिल के सदन में पेश होते ही देश की सबसे बड़ी और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्पफ बोर्ड एक बार पिफर से चर्चा में है। दिल्ली का कुल एरिया करीब 3.6 लाख एकड़ है, जबकि वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख है। देश में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद वक्फ बोर्ड के पास ही सबसे ज्यादा जमीनें हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्राी किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश किया। इस दौरान विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया। इस बिल का कांग्रेस, सपा, एनसीपी ;शरद पवारद्ध, एआईएमआईएम, टीएमसी, डीएमके, वामदलों ने विरोध किया। वहीं जेडीयू एलजेपी और टीडीपी ने समर्थन किया। 40 प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार वक्फ बोर्डों द्व ारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा। सरकार के इस कदम का मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने विरोध किया है और कहा है कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड जैसी संस्थाओं और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- वक्फ प्राॅपर्टी पब्लिक प्राॅपर्टी नहीं है। वक्फ प्राॅपर्टी का मतलब मस्जिद और दरगाह की जगह है। सरकार कह रही है कि हम महिलाओं को मैंबर बनाएंगे। क्या वे बिलकिस बानो को मैंबर बनाएंगे। यह सरकार मुसलमानों की दुश्मन है। किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष वोट बैंक के चलते बिल के खिलापफ है। वक्पफ का इंप्रफास्ट्रक्चर सही नहीं था। इसे ठीक किया गया है। वक्फ बोर्ड पर मापिफयाओं का कब्जा है। देश में कोई भी कानून संविधान से ऊपर नहीं है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, यह विधेयक संविधान पर एक बुनियादी हमला है। इस विधेयक के जरिए वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हों। यह धार्मिक स्वतंत्राता पर सीधा हमला है। आगे आप ईसाइयों के लिए जाएंगे, पिफर जैन, भारत के लोग इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को अब नहीं सहेंगे। हम हिंदू हैं लेकिन साथ ही हम अन्य धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह विधेयक महाराष्ट्र, हरियाणा चुनाव के लिए खास है। आप यह नहीं समझते कि पिछली बार भारत के लोगों ने स्पष्ट रूप से आपको सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है। सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा- यह बिल सोची समझी राजनीति के तहत पेश हो रहा है। वक्फ में गैर मुस्लिम को शामिल करने का औचित्य नहीं है। अगर आप जिलाधिकारी को ताकत दे देंगे तो गड़बड़ी होगी। भाजपा हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है। जेडीयू सांसद और केंद्रीय पंचायती राजमंत्राी ललन सिंह ने कहा- इस बिल को मुसलमान विरोधी बताने की कोशिश की जा रही है। यह बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। यह बिल मस्जिदों पर लागू करने के लिए नहीं है। एक निरंकुश संस्था को कानून में बांधने के लिए लाया जा रहा है। भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, विपक्ष हमेशा विरोध करता है, यही उनका काम है। वे अच्छी चीजों को भी बुरा बताते हैं। पीएम कई अच्छी योजनाएं लाए हैं लेकिन वे कहते ैं कि ये सभी चीजें गलत हैं। तेलुगु देशम पार्टी ;टीडीपीद्ध के सांसद जीएम हरिश बालयोगी ने कहा- यह बिल मुस्लिमों और महिलाओं के हित में है। इसे वक्पफ बोर्ड में पारदर्शिता के लिए लाया गया है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला कहते हैं, ‘मैंने अखिलेश यादव का ट्वीट और कांग्रेस व इंडी गठबंधन की प्रतिक्रियाएं देखी हैं। वक्पफ तो बनाना है, इंडी गठबंधन को पिफर से वोट बैंक को भड़कना है। यह संशोधन मुस्लिम समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग है। वक्पफ रेलवे और रक्षा के बाद भूमि धारण में तीसरे नंबर पर है। जब अखिलेश यादव और कांग्रेस इस संशोधन का विरोध करते हैं, तो वे उन लोगों के साथ खड़े होते हैं, जिन्होंने अवैध रूप से इन जमीनों को हड़प लिया है। समाजवादी पार्टी के सांसद अपफजाल अंसारी ने कहा, ‘यह पहले से सरकार की मंशा रही है। भाजपा को अपना नाम बदल लेना चाहिए और इसका नाम ‘भारतीय जमीन और अपने अपने चाहेतों को बांट दो’ होना चाहिए। लोगों द्वारा दान में दी गई जमीन को छीनने वाले आप कौन होते हैं। बता दें कि वक्पफ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें वक्पफ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। वक्पफ ;संशोधनद्ध बिल में वक्पफ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्पफ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है। विधेयक को पेश किए जाने से पहले मंगलवार रात लोकसभा सदस्यों के बीच वितरित किया गया। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्पफ संपत्ति है या नहीं। यह केंद्रीय वक्पफ परिषद और राज्य वक्पफ बोर्डों की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढेगी। मुस्लिम बु(िजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया है। समिति को अगले सत्रा के पहले हफ्रते के आखिरी दिन तक रिपोर्ट देने का समय दिया गया है। समिति में 31 सदस्य होंगे, जिसमें 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्यसभा से होंगे। केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्पफ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया था। हालांकि अब इसे जेपीसी को सौंप दिया गया है। इस विधेयक के लिए गठित संयुक्त समिति में लोकसभा के 31 सदस्यों की समिति का गठन किया गया है, उनमें से लोकसभा के 21 सदस्यों में जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डीके अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मोहिबुल्ला, कल्याण बनर्जी, ए राजा, कृष्णा अलावरु, दिलेश्वर कामत, अरविन्द सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपति, अरुण भारती और असदुद्दीन औवेसी शामिल हैं।

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