आज उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना द्वारा दून अस्पताल के PICU वार्ड में भर्ती 5 वर्षीय मासूम बालक से मुलाकात की गई, जिसे निर्दयता से पीटा गया। यह घटना न केवल कानून और सामाजिक सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठाती है, बल्कि हमारी सामाजिक संरचना पर भी एक गहरी चोट है।

इस हृदयविदारक घटना पर डॉ. खन्ना ने गहरा दुःख प्रकट करते हुए कहा,

“जब मैं बच्चे से मिलने पहुंची, तो मन में यही प्रश्न उठा कि हम किस प्रकार का समाज बना रहे हैं? एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई है।”

अभियुक्ता के पति द्वारा बताया गया कि महिला मानसिक रूप से अस्वस्थ है, परंतु इस बात की जानकारी उसने छुपाई। पहले वह तीन महीने पूर्व आई थी, और उसके बाद अपने ससुर के देहांत के कारण कुछ समय तक नहीं आई। घटना के कुछ दिन पहले ही वह वापस लौटी थी। पड़ोसियों के अनुसार, आरोपी महिला ने घटना से पहले चाकू मांगा और बच्चे को “प्यारा” बताने के बाद ही उसे निशाना बनाया। उसके इस असामान्य व्यवहार की अनदेखी करना भी एक सामाजिक चूक मानी जानी चाहिए।

डॉ. खन्ना ने स्पष्ट किया कि:

“इस प्रकार के मामलों में यह देखने को मिल रहा है कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोग सत्यापन के अभाव में देवभूमि में बस जाते हैं और इस प्रकार की जघन्य घटनाओं को अंजाम देते हैं। मकान मालिकों द्वारा पुलिस सत्यापन न कराना एक गंभीर लापरवाही है।”

उन्होंने प्रशासन और समाज से अपील की कि:

1. बिना पुलिस सत्यापन के किसी भी बाहरी व्यक्ति को किराए पर कमरा न दिया जाए। 2. उस व्यक्ति का पुराना आपराधिक या मानसिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड अनिवार्य रूप से सत्यापित किया जाए। 3. इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु स्थानीय प्रशासन और आम नागरिकों को सजग रहना होगा।

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