सावन माह के साथ कांवड़ यात्रा शुरू, शिवभक्तों में छाया उत्साह

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शुक्रवार, 11 जुलाई सावन महीने की पावन शुरुआत हो गई है। साथ ही कांवड़ यात्रा का भी शुभारंभ हो चुका है।
श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस दौरान कांवड़िए पवित्र नदियों से गंगाजल भरकर अपने क्षेत्रों के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा में यह यात्रा विशेष श्रद्धा और धूमधाम से निकाली जाती है। श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख जैसे तीर्थ स्थलों से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने इष्ट शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। सावन में इस बार 4 सोमवार का संयोग बन रहा है। पहला सावन सोमवार 14 जुलाई, दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई और चौथा सावन सोमवार 4 अगस्त 2025 को है। उत्तराखंड में इस यात्रा का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है। दिव्य हिमगिरि रिपोर्ट।

11 जुलाई 2025 से सावन महीने की पावन शुरुआत हो गई है। साथ ही कांवड़ यात्रा का भी शुभारंभ हो चुका है, जिससे प्रदेश में शिवभक्तों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य तीर्थ स्थलों पर हजारों श्रद्धालु जल भरने के लिए उमड़ रहे हैं। श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस दौरान कांवड़िए पवित्र नदियों से गंगाजल भरकर अपने क्षेत्रों के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा में यह यात्रा विशेष श्रद्धा और धूमधाम से निकाली जाती है। श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख और देवघर जैसे तीर्थ स्थलों से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने इष्ट शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। उत्तराखंड में इस यात्रा का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है। इस पूरे माह भगवान शिव का जलाभिषेक करने से लेकर कांवड़ यात्रा करना शुभ माना जाता है। हरिद्वार कावड़ यात्रा का प्रमुख केंद्र है जहां हर साल श्रावण मास में भव्य मेले का आयोजन होता है। कावड़ मेले की शुरुआत महीना पहले ही शुरू हो जाती है श्रावण मास के पहला दिन अलग-अलग राज्यों से आए शिव भक्तों ने हर की पैड़ी से जल भरा और बोल बम, बम-बम के जयकारों का उद्घोष करते हुए अपने गंतव्य को रवाना हुए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है और हर तरह के दुख-दर्द से निजात मिल जाती है। शिव जी के जलाभिषेक के लिए सावन में इस बार 4 सोमवार का संयोग बन रहा है। पहला सावन सोमवार 14 जुलाई, दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई और चौथा सावन सोमवार 4 अगस्त 2025 को है। हर साल सावन में होने वाली कांवड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा है। भगवान भोलेनाथ के भक्त कांवड़िए कहलाते हैं।
धामी सरकार और प्रशासन ने यात्रा को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। पुलिस बल की तैनाती, मेडिकल कैंप और जलपान केंद्रों की व्यवस्था के साथ-साथ यातायात योजना भी लागू की गई है ताकि किसी भी तरह की असुविधा न हो। हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज रहे देवभूमि के रास्ते यह संकेत दे रहे हैं कि श्रद्धा, भक्ति और आस्था का यह महापर्व पूरे शबाब पर है।

उत्तराखंड के हरिद्वार में छह करोड़ से ज्यादा कांवड़ियों के आने की उम्मीद

उत्तराखंड में ये कांवड़िए गंगाजल भरने हरिद्वार, ऋषिकेश और गंगोत्री आते हैं। यहां से गंगाजल भरकर अपने घर जाते हैं। वहां अपने आराध्य भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा में युवाओं के साथ बड़े-बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं भी शामिल होती हैं। ज्यादातर शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर पैदल आते हैं और भगवा रंग के कपड़े पहनते हैं। कांवड़ियों का मानना है कि उनकी इस कठिन यात्रा से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान कालकूट विष निकला था, तो भगवान शिव ने संपूर्ण सृष्टि की रक्षा हेतु उसे अपने कंठ में धारण किया था। तब देवताओं ने उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए गंगाजल अर्पित किया। उसी परंपरा का अनुसरण करते हुए श्रद्धालु सावन में गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई को सावन की शिवरात्रि पर संपन्न होगी। जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा अपनी अपनी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मेले की त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। कांवड़ मेला क्षेत्र को सुरक्षित और व्यवस्थित सम्पन्न कराने के लिए पूरे मेला क्षेत्र को 16 सुपर जोन, 38 जोन ओर 134 सेक्टरों में बंटा गया है। आधा दर्जन ड्रोन से मेला क्षेत्र पर नजर रखी जाएगी।जिला प्रशासन के अनुसार वर्ष 2024 के कांवड़ मेले में 4.5 करोड़ से अधिक कांवड़िए हरिद्वार आए थे। इस बार छह करोड़ से ज्यादा कांवड़ियों के आने की उम्मीद है। मेले के लिए 2,981 पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। मेला क्षेत्र में पीएसी की 15 कंपनी, जल बचाव दल की एक कंपनी और केंद्रीय अर्धसैनिक बल की 18 कंपनी तैनात की गई हैं। इसका असर देहरादून और हरिद्वार से दिल्ली-एनसीआर की यात्रा करने वालों पर भी पड़ेगा, क्योंकि यहां डायवर्जन के कारण दूरी और किराया दोनों बढ़ जाएगा।

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