शिक्षा को छात्र उपयोगी एवं रोजगार परक बनाये जाने हेतु सुझाव

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नई शिक्षा नीति के अंतर्गत गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को सर्वभौमिक पहुंच प्रदान करना है। छात्रों को सतत शिखर की ओर प्रशस्त करने व उनमे समस्या समाधान तार्किक रूप से सोचने की प्रवृत्ति को जगाना, शिक्षण प्रक्रिया को विद्यार्थी केन्द्रीत तथा जिज्ञासा, खोज, अनुभव और संवाद पर आधारित लचीली एवं रूचि पूर्ण बनाना, सतत मूल्यांकन एवं तकनीकी का उपयोग करना, पाठ्यक्रमों एवं मूल्यांकन में बदलाव करना, समता और समावेश में वृद्धि करना, आनलाईन शिक्षा और मुक्त दूरस्थ शिक्षा के बुनियादी ढ़ाचे में परिवर्तन करते हुए शिक्षा में व्यक्तिगत रोजगार के अवसरों के सृजन के साथ ही इसे खुशनुमा, सामंजस्यपूर्ण, सुसंस्कृत और प्रगतिशील बनाते हुए समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करना है। अच्छे चिन्तनशील बहुमुखी और प्रतिभा वाले रचनात्मक व्यक्तियों का विकास करना शिक्षा नीति का लक्ष्य (vision) है। नई शिक्षा नीति में Accredited Credit Bank (ACB) को स्थापित किया जाना है, जिसमें छात्रों को Multi entry और Multi exit की सहूलित मिल सके। इसके साथ ही राज्य में शिक्षा आयोग का गठन करना एवं Multi disciplinary एजुकेशन, जो राजेगार और रिसर्च से जुड़ी हो, को बढ़ावा देना, शिक्षकों का नियमित और सतत प्रशिक्षण हेतु मानकों का निर्धारण करना तथा उनकी भर्ती के उद्देश्य से राज्य में State education commission बनाना तथा
प्रशिक्षण हेतु राज्य में प्रशिक्षण शिक्षण संस्थान बनाने का भी प्रावधान किया गया है। Choice Based Credit System में सेमस्टर आधारित पाठ्यक्रम, जिनमें Multiple level Entry एवं Exit की सुविधा प्रदान करते हुए यदि कोई बीच में पढ़ाई छोड़ता है तो बाद में भी उसे पढ़ाई करने का अवसर मिले। माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा क्षेत्र में कम से कम 50
प्रतिशत विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान एवं अनुभव प्रदान करते हुए स्वरोजगार या उद्योग में रोजगार हेतु प्रशिक्षित करना समय की आवश्यकता है।

अक्सर यह देखने में आ रहा है तथा Industry और recruiting experts का भी यह कहना है कि शिक्षण संस्थानों में छात्रों को जो पढ़ाया जा रहा है, वह उद्योग एवं रोजगार बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैैं। इस ओर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। शिक्षण संस्थानों को पाठ्यक्रमों को Redesign करना होगा, एवं पढ़ाने की तकनीक एवं तरीकों को बाजार की आवश्यकता के दृष्टिगत पाठ्यक्रम में Industry में बच्चों को पढ़ाई के दौरान एक्सप्रोजर हेतु Industry Training को Syllabus में अनिवार्य किया जाना होगा।

वर्तमान समय में बहुत Companies संस्थान के Brand Name (IIT/IM) इत्यादि से हटकर अन्य संस्थानों से भी अपनी आवश्यकता के अनुसार Recruitment कर रही हैं। Recruitment करते समय Companies अपनी आवश्यकता अनुसार बच्चों में Skill set को ज्यादा Preference दे रही हैं। Skill set के अन्तर्गत बच्चों में Functional एवं
व्यवहारिक Competency को महत्व दे रही हैं। इसके साथ-साथ वर्तमान में यह भी ट्रेंड है कि Companies Quite Hiring के माध्यम से Internal Recruitment कर रही हैं। यदि Company में Job Vacancy Create हो रही हैं तो वह अपनी Company में कार्यरत कर्मचारियों में से Suitable Talent को चयनित कर उनको Upskill कर Senior Position में promote कर रिक्तियों को भर रही हैं।

संस्थानों में Syllabus को Redesign करने के साथ-साथ Pedagogy (पढ़ाने के तरीके) में भी बदलाव की आवश्यकता है। यह कार्य Institute एवं Industry आपस में बैठ कर, वर्तमान समय की जरूरत एवं मांग के अनुसार तय कर सकते हैं। इसमें Pass Out होने वाले छात्रों की Industry exposure को Focus करते हुए Theoretical Subjects
को अच्छे तरीके से पढ़ाया, समझाया जाए और Work Integrated degree and Certificate Program प्रारम्भ किये जायें। अध्ययन के दौरान छात्र सैमेस्टर के पश्चात् Industry में Training प्राप्त करें, जिससे उनको Industry का Exposer पढ़ाई के दौरान मिल सके, और फिर इस Training और Exposer को अपने Class Room में ला कर उसके
अनुरूप, जो Industry के लिए Required Knowledge, Functional एवं Behavioural Competency को छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान Develope कर सकते। इससे रोजगार प्राप्त करने में सहूलियत होगी। छात्रों सेे Company की जो Expectations हैं। कार्य एवं रोल की उम्मीद है उसकी जानकारी छात्रों को रहेंगी। इस Training एवं Exposure से
बच्चों में समय रहते उन्हें Required Skill Set एवं Competency Develop करने का पर्याप्त समय एवं अवसर पढ़ाई के दौरान रहेगा।

जब Demand Based curriculum होगा और Functional एवं Behavioural Competency छात्रों में होगी, तभी वह कम्पनी एवं इण्डस्ट्री में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। उपरोक्त बदलावों और तरीकों से विभिन्न संस्थानों से Pass Out होने वाले छात्रों में जहां एक ओर उनके Employability quotient को बढ़ावा मिलेगा उसके साथ ही Salary Package भी अच्छा प्राप्त होगा। बच्चों को अध्ययन के दौरान फेकेल्टी का यह भी कर्तव्य होना चाहिए कि निरंतर छात्रों के Skill Set को Update करते रहें और छात्रों में निरंतर Competency में सुधार के लिए प्र्रोत्साहित करें जिससे वर्तमान में Fast charging Economy एवं market trends मे उनकी Utility बरकरार रह सके। रोजगार के क्षेत्र में Companies एवं Industry यह भी देखती है कि जिसे वे रोजगार प्रदान कर रहे हैं, वह उनकी कम्पनी क्या Value addition कर सकता है। अतः वर्तमान में, छात्रों में Skill set, fuctional and behavioural competencies होना Employability quotient हेतु आवश्यक घटक हैं।

(लेखक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं तथा वर्तमान में उत्तराखंड शासन में सचिव, आयुष एवं सैनिक कल्याण हैं।)

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