दीपावली का त्योहार देशभर में खुशियों और उत्सव की छटा बिखेर रहा है। इस समय बाजारों में हर तरफ रोशनी और सजावट की चमक देखने को मिल रही है, दुकानों में रंग-बिरंगी लाइटों और दीपों की भरमार है, और खरीदारों की भीड़ से हर जगह उत्साह का माहौल है। इस बार दीपावली का पर्व विशेष रूप से उत्साह और उमंग से भरा हुआ है, क्योंकि सरकार द्वारा जीएसटी दरों में की गई कटौती ने उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। इस साल दीपावली 20 अक्टूबर को पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा और 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। घरों में दीयों और लाइटों से सजावट की जाती है, मिठाइयाँ और तोहफे बांटे जाते हैं, और मंदिरों में भजन-कीर्तन और पूजा का क्रम चलता है। बाजारों में सजावट, रंग-बिरंगी रोशनी और झिलमिलाती दीपमालाओं के बीच लोग त्योहार की खरीदारी में व्यस्त हैं। इस प्रकार, दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि खुशियों, रोशनी, भाईचारे और पारिवारिक मिलन का भी प्रतीक बन चुकी है। हर गली और बाजार में रौनक और उमंग देखने को मिल रही है, और हर कोई इस पर्व का आनंद लेने के लिए पूरी तरह तैयार है। शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
दीपावली के पर्व ने पूरे देश में खुशियों और उत्सव का माहौल बना दिया है। इस बार 20 अक्टूबर को मनाई जाने वाली दीपावली को लेकर बाजारों में रौनक पहले से ही देखने को मिल रही है। दुकानों और बाजारों को रंग-बिरंगी लाइटों, झिलमिलाती दीपमालाओं और सजावटी सामान से सजाया गया है, जिससे खरीदारों की भीड़ हर जगह देखने को मिल रही है। गोवर्धन पूजा (22 अक्टूबर) और भाई दूज (23 अक्टूबर) तक की तैयारियां भी जोरों पर हैं। लोग अपने घरों को दीपों और लाइटों से सजाने के साथ-साथ मिठाई और तोहफों की खरीदारी में व्यस्त हैं। इस दौरान बाजारों में खास ऑफर्स और सेल भी देखने को मिल रही है, जिससे त्योहार की खरीदारी में और उत्साह बढ़ गया है। दीपावली का पर्व केवल रोशनी और खरीदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परिवार, भाईचारा और खुशियों के संगम का प्रतीक बन चुका है। हर गली, बाजार और मोहल्ला दीपों की रौनक और खुशियों से जगमगा रहा है। व्यापारियों के अनुसार इस बार खरीदारी में पिछले साल की तुलना में लगभग 20-25 प्रतिशत अधिक वृद्धि देखने को मिल रही है, जो आर्थिक गतिविधियों के लिए भी सकारात्मक संकेत है। त्योहार की इस रौनक के बीच प्रशासन और पुलिस भी विशेष तैयारियों में जुटी है, ताकि बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। इस प्रकार, देशभर में दीपावली का उत्सव केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि खुशियों, रोशनी और उमंग भरा बड़ा त्योहार है । दीपावली का पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। घरों और मंदिरों को रंगीन दीयों, लाइट्स और फूलों से सजाया गया। बाजारों में खरीदारी का जोश चरम पर है। मिठाइयों, रंगोली सामग्री, नए कपड़े और सजावटी वस्तुओं की बिक्री में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई। दीपावली का पर्व विशेष रूप से उत्साह और उमंग से भरा हुआ है, क्योंकि सरकार द्वारा जीएसटी दरों में की गई कटौती ने उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। दिवाली के मौके पर 71 साल बाद ग्रहों के कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। दिवाली पर इस बार हंसराज और बुधादित्य राजयोग का दुर्लभ संयोग बनेगा। इससे पहले दिवाली पर 1954 में हंस राजयोग और बुधादित्य राजयोग बना रहेगा। दरअसल, गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर कर जाएंगे। सूर्य और बुध की युति तुला राशि में रहेंगी जिससे बुधादित्य राजयोग प्रभाव में आएगा। इसी के साथ सूर्य दीवाली के मौके पर तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मंगल और सूर्य की युति तुला राशि में होने से आदित्य मंगल योग बनेगा। इसी के साथ चंद्रमा और शुक्र की युति कन्या राशि में होने से कलानिधि योग बनेगा। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। ऐसे में दिवाली के मौके पर मेष, मिथुन सहित 5 राशियों के लिए समय बहुत ही अच्छा रहने वाला है। 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनाई गई। यह पर्व भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। कथा अनुसार, इन्द्रदेव ने गांववासियों पर वर्षा भेजी थी, लेकिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर उन्हें सुरक्षित रखा। इस दिन घरों में भव्य अन्नकूट सजाया गया, जिसमें चावल, दाल, मिठाइयां और अन्य खाद्य सामग्री शामिल थी। लोग सामूहिक रूप से भगवान कृष्ण को भोग अर्पित करते और फिर उसका वितरण करते हैं। शहरी क्षेत्रों में मंदिरों और पूजा स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, जिन्होंने भजनों और कथाओं के माध्यम से उत्सव को जीवंत बनाया। भाई दूज इस वर्ष 23 अक्टूबर 2025 को मनाया गया। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए तिलक करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनका सम्मान करते हैं।
इस बार दीपावली पर बाजार में जीएसटी कम होने से खरीदारों में उत्साह
इस बार दीपावली पर बाजार में जीएसटी कम होने की वजह से खरीदारों में भारी उत्साह है। नई जीएसटी संरचना के तहत, 12% और 28% की पुरानी दरों को समाप्त कर दिया गया है, जिससे अधिकांश वस्तुओं पर कर दरें 5% और 18% तक सीमित हो गई हैं। यह बदलाव विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स, एफएमसीजी उत्पादों और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। नई जीएसटी दरों के लागू होने से उपभोक्ताओं के लिए कई उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे उनकी खरीदारी की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट टीवी, एयर कंडीशनर, और स्मार्टफोन्स जैसे प्रीमियम इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म्स पर भी इन उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी हुई है, और छोटे शहरों से भी इनकी खरीदारी में इजाफा हुआ है। व्यापारी वर्ग भी जीएसटी दरों में कटौती से खुश है, क्योंकि इससे उनकी लागत में कमी आई है और बिक्री में वृद्धि हुई है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी जीएसटी कटौती का सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। मारुति सुजुकी, हुंडई और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों ने रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है। जीएसटी दरों में की गई कटौती ने दीपावली 2025 को एक विशेष अर्थव्यवस्था उत्सव बना दिया है। उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों का लाभ मिल रहा है, जबकि व्यापारियों को बढ़ी हुई बिक्री और लाभ हो रहा है।
भारत में सदियों से मनाया जा रहा रोशनी का त्योहार दीपावली
दीपावली, जिसे ‘रोशनी का त्योहार’ भी कहा जाता है, भारत में सदियों से मनाया जा रहा है। यह पर्व मुख्य रूप से हिंदू धर्म से जुड़ा है, लेकिन अन्य धर्मों और संस्कृतियों में भी इसे विशेष महत्व प्राप्त है। दीपावली का उल्लेख प्राचीन संस्कृत ग्रंथों और पुराणों में मिलता है, जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है। विशेष रूप से, यह पर्व भगवान राम के अयोध्या लौटने और राक्षसों पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है, जैसा कि ‘रामायण’ में वर्णित है। इसके अतिरिक्त, दीपावली का संबंध धन की देवी लक्ष्मी और व्यापार के देवता गणेश से भी जोड़ा जाता है, जो व्यापारिक समुदायों के लिए विशेष महत्व रखता है। आज के समय में दीपावली न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जो इसकी विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है, जो समय के साथ अपनी महत्ता और लोकप्रियता बनाए हुए है।
दीपावली के 11 दिन बाद उत्तराखंड में मनाई जाती है ‘बूढ़ी दीपावली’
जब पूरे देश में दीपावली का उल्लास समाप्त हो जाता है, तब उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इगास बग्वाल का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व दीपावली के 11 दिन बाद, कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है, जिसे ‘बूढ़ी दीपावली’ भी कहा जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना पहाड़ों में 11 दिन बाद पहुंची थी, इसलिए यहां दीपावली का उत्सव 11 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन लोग ‘भैलो’ नामक मशालों को घुमाते हैं और ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य करते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से युवाओं के बीच लोकप्रिय है। घर-घर में मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। यह पर्व समुदाय की एकता और पारंपरिक मूल्यों को संजोने का अवसर प्रदान करता है। उत्तराखंड सरकार ने इस पर्व को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है, ताकि लोग इस पर्व को धूमधाम से मना सकें और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके।
इगास बग्वाल उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो पहाड़ी जीवनशैली, परंपराओं और समुदाय की एकता को दर्शाता है।





