शुद्ध खाद्य उत्पादों का हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव

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आज के युग में जब मिलावट, प्रोसेस्ड फूड्स और कैमिकल्स से भरे आहार हमारे चारों ओर फैले हुए है, ऐसे समय में शुद्ध खाद्य उत्पादों (Pure and Unadulterated Foods) का सेवन हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है। शुद्ध आहार न केवल हमें रोगों से बचाता है बल्कि जीवन उर्जा, पाचन, त्वचा, हार्मोन्स, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक संतुलन को भी सुदृढ करता है।

क्या होते है शुद्ध खाद्य उत्पाद?
शुद्ध खाद्य उत्पाद वे होते है जो बिना रासायनिक मिलावट, कृत्रिम रंग, प्रिजरवेटिव, कीटनाशक या सिंथेटिक एडिटिव्स के प्राकृतिक रूप में उपलब्ध हो जैसे जैविक फल-सब्जियॉ (Organic Fruits & Vegetables), देशी घी, शुद्ध दूध, साबुत अनाज, देशी दाले, बिना कैमिकल मिलाए बनाये गये मसाले, शहर, गुड़, खांड, नमक इत्यादि। संस्कृत में कहा गया है- ‘‘शुद्ध भोजनं शुद्ध मनः’’ अर्थात शुद्ध भोजन से मन भी शुद्ध होता है।

शुद्ध खाद्य उत्पादों का शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव।
1-रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि- शुद्ध खाद्य उत्पादों में एंटीऑक्सिडेंटस, विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते है जिससे शरीर की इम्युनिटी मजबूत होती है उदाहरणः जैविक हल्दी में करक्यूमिन ज्यादा होता है जो सूजन और संक्रमण से बचाव करता है।
2-पाचन तंत्र में सुधार- कैमिकल मुक्त आहार हमारे पाचन एंजाइम्स को उत्तेजित करता है जिससे गैस, एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याएं कम होती है।
3-हार्मोन संतुलन- प्रोसेस्ड फूडस में पाए जाने वाले जेनोएस्ट्रोजेन्स (xenoestrogens) हमारे हार्मोन को प्रभावित करते है। शुद्ध आहार शरीर को डिटॉक्स करता है और थायरॉइड, इनफर्टिलिटी, पीसीओएस जैसी समस्याओं में राहत देता है।
4-त्वचा और बालों की गुणवत्ता में वृद्धि- शुद्ध खाद्य उत्पादों में मौजूद पोषक तत्व जैसे बायोटिन, विटामिन A,C,E त्वचा को ग्लोइंग और बालों को मजबूत बनाते है।

मानसिक और आत्मिक प्रभाव
1-एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता- रासायनिक भोजन मानसिक धुंध (Brain Fog), तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ाता है जबकि सात्विक शुद्ध भोजन ध्यान, स्मृति और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है।
2-नींद में सुधार- कैफीन, प्रिजरवेटिव्स और चीनी से भरे खाद्य उत्पाद नींद पर विपरीत प्रभाव डालते हे। शुद्ध आहार मेलाटोनिन और सेरोटोनिन हार्मोन को संतुलित करते है जिससे नींद अच्छी आती है।
3-सकारात्मक उर्जा और भावनात्मक स्थिरता- भारतीय आयुर्वेद में शुद्ध आहार को सत्वगुणी आहार माना गया है। यह मन में शांति, प्रेम और करूणा जैसे भाव उत्पन्न करता है।

मिलावटी खाद्य उत्पादों से होने वाले नुकसानः
1-कैंसर, हार्मोनल डिसआर्डर, डाइबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
2-बच्चों की ग्रोथ और मानसिक विकास में रूकावट।
3-फूड एलर्जी, मेटाबोलिक सिंड्रोम, हाइपरटेंशन।
4-लिवर और किडनी पर अतिरिक्त बोझ।

समाधानः कैसे सुनिष्चित करें कि भोजन शुद्ध है?
1-लेबल पढे़- Preservative Free, No Artificial Color, No Artificial Flavor.
2-जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दे।
3-भरोसेमंद ब्रांड के उत्पादों की खरीदारी करे।
4-रिफाइंड ऑयल की जगह कोल्ड प्रेस्ड सरसो तेल अपनाए।
5-घर पर साधारण परीक्षण से शुद्धता की जांच करें।

शुद्ध भोजन केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक जीवनशैली है। यह शरीर, मन और आत्मा तीनों के लिए औषधी समान है। यदि हम चाहते है कि हमारे बच्चे और हमारी आने वाली अगली पीढी रोगमुक्त होकर उर्जा से भरपूर और मानसिक रूप से संतुलित जीवन जीएं तो हमें आज से ही शुद्ध आहार की ओर लौटना ही होगा।

‘‘आपका भोजन ही आपकी दवा बन सकता है- बषर्ते वह शुद्ध और संतुलित हो’’

डायटीशियन वंदना
समग्र स्वास्थ्य कोच एवं
रोग प्रतिवर्तन विशेषज्ञ

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